मन की बात | मोदी को भायी देहरादून की गायत्री की बात

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मन की बात | मोदी को भायी देहरादून की गायत्री की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में देहरादून की एक बच्ची का फोन कॉल लिया। देहरादून की इस बच्ची का नाम गायत्री है और वो क्लास 11 में पढ़ती है। गायत्री ने पीएम को अपनी मन की बात बताने के लिए कॉल किया था। गायत्री ने अपनी कॉल में देहरादून की


मन की बात | मोदी को भायी देहरादून की गायत्री की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में देहरादून की एक बच्ची का फोन कॉल लिया। देहरादून की इस बच्ची का नाम गायत्री है और वो क्लास 11 में पढ़ती है।

गायत्री ने पीएम को अपनी मन की बात बताने के लिए कॉल किया था। गायत्री ने अपनी कॉल में देहरादून की रिस्पना नदी का जिक्र किया।

मन की बात | मोदी को भायी देहरादून की गायत्री की बात

पढ़िए मोदी का संदेश-

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे ख़ुशी है कि मुझे हर बार, जब भी ‘मन की बात’ के लिये लोगों से सुझाव माँगता हूँ, अनेक-अनेक प्रकार के सुझाव आते हैं। लेकिन ये मैंने देखा है कि स्वच्छता के विषय में हर बार आग्रह रहता ही रहता है।

मुझे देहरादून से गायत्री नाम की एक बिटिया ने, जो कि 11वीं की छात्रा है, उसने फ़ोन करके एक message भेजा है: –

“आदरणीय प्रधानाचार्य, प्रधानमंत्री जी, आपको मेरा सादर प्रणाम। सबसे पहले तो आपको बहुत बधाइयाँ कि आप इस चुनाव में आपने भारी मतों से विजय हासिल की है। मैं आपसे अपने मन की बात करना चाहती हूँ। मैं कहना चाहती हूँ कि लोगों को यह समझाना होगा कि स्वच्छता कितनी ज़रूरी है। मैं रोज़ उस नदी से हो कर जाती हूँ, जिसमें लोग बहुत सा कूड़ा-करकट भी डालते हैं और नदियों को दूषित करते हैं। वह नदी रिस्पना पुल से होते हुए आती है और मेरे घर तक भी आती है। इस नदी के लिये हमने बस्तियों में जा करके हमने रैली भी निकाली और लोगों से बातचीत भी की, परन्तु उसका कुछ फ़ायदा न हुआ। मैं आपसे ये कहना चाहती हूँ कि अपनी एक टीम भेजकर या फिर न्यूज़पेपर के माध्यम से इस बात को उजागर किया जाए, धन्यवाद।”

देखिए भाइयो-बहनो, 11वीं कक्षा की एक बेटी की कितनी पीड़ा है। उस नदी में कूड़ा-कचरा देख कर के उसको कितना गुस्सा आ रहा है। मैं इसे अच्छी निशानी मानता हूँ। मैं यही तो चाहता हूँ, सवा-सौ करोड़ देशवासियों के मन में गन्दगी के प्रति गुस्सा पैदा हो। एक बार गुस्सा पैदा होगा, नाराज़गी पैदा होगी, उसके प्रति रोष पैदा होगा, हम ही गन्दगी के खिलाफ़ कुछ-न-कुछ करने लग जाएँगे। और अच्छी बात है कि गायत्री स्वयं अपना गुस्सा भी प्रकट कर रही है, मुझे सुझाव भी दे रही है, लेकिन साथ-साथ ख़ुद ये भी कह रही है कि उसने काफ़ी प्रयास किए; लेकिन विफलता मिली। जब से स्वच्छता के आन्दोलन की शुरुआत हुई है, जागरूकता आई है। हर कोई उसमें सकारात्मक रूप से जुड़ता चला गया है। उसने एक आंदोलन का रूप भी लिया है।गन्दगी के प्रति नफ़रत भी बढ़ती चली जा रही है। जागरूकता हो, सक्रिय भागीदारी हो, आंदोलन हो, इसका अपना महत्व है ही है। लेकिन स्वच्छता आंदोलन से ज़्यादा आदत से जुड़ी हुई होती है। ये आंदोलन आदत बदलने का आंदोलन है, ये आंदोलन स्वच्छता की आदत पैदा करने का आंदोलन है, आंदोलन सामूहिक रूप से हो सकता है। काम कठिन है, लेकिन करना है। मुझे विश्वास है कि देश की नयी पीढ़ी में, बालकों में, विद्यार्थियों में, युवकों में, ये जो भाव जगा है, ये अपने-आप में अच्छे परिणाम के संकेत देता हैI आज की मेरी ‘मन की बात’ में गायत्री की बात जो भी सुन रहे हैं, मैं सारे देशवासियों को कहूँगा कि गायत्री का संदेश हम सब के लिये संदेश बनना चाहिए।
गायत्री ने पीएम से कहा कि वो रोज रिस्पना नदी के किनारे से गुजरती है और लोगों को इस नदी में गंदगी फेंकते हुए देखती है। गायत्री ने पीएम को उत्तराखंड में मिली चुनावी जीत के लिए भी बधाई दी है।

वहीं पीएम मोदी ने भी गायत्री के फोन कॉल को आधार बनाते हुए लोगों से स्वच्छता के लिए प्रयास जारी रखने के अनुरोध किया है।

 

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