काम की बात | मोटर बाइक चलाते हैं या पीछे बैठते हैं तो जरुर पढ़ें ये ख़बर

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काम की बात | मोटर बाइक चलाते हैं या पीछे बैठते हैं तो जरुर पढ़ें ये ख़बर

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल मोटर वेहिकल रूल 123 का अनुपालन अनिवार्य करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने मोटर बाइक में पीछे बैठने वाली सवारी के लिए सेफ्टी हैंडिल, फुट रेस्ट और पिछले पहिये का सेफ्टी कवर जरूरी करने वाले आदेश को चुनौती देने


काम की बात | मोटर बाइक चलाते हैं या पीछे बैठते हैं तो जरुर पढ़ें ये ख़बर

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल मोटर वेहिकल रूल 123 का अनुपालन अनिवार्य करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने मोटर बाइक में पीछे बैठने वाली सवारी के लिए सेफ्टी हैंडिल, फुट रेस्ट और पिछले पहिये का सेफ्टी कवर जरूरी करने वाले आदेश को चुनौती देने वाली सोसाइटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्स की याचिका खारिज कर दी है।

हालांकि ये आदेश मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के संबंध में आया है लेकिन इसका असर देश भर में पड़ सकता है क्योंकि मोटर बाइक पर पीछे बैठने वाली सवारी की सुरक्षा उपाय की बात करने वाला सेन्ट्रल मोटर वेहिकल रूल 123 केन्द्रीय नियम है और केन्द्रीय नियम कानून सभी जगह समान रूप से लागू होते हैं। अगर किसी और राज्य में कोई व्यक्ति इस नियम को आधार बनाकर सक्षम अथारिटी या कोर्ट के सामने जाता है तो वहां भी नियम लागू करना अनिवार्य होगा।

सेंट्रल मोटर वेहिकल रूल 123 कहता है कि मोटर बाइक में पीछे बैठने वाली सवारी के लिए सेफ्टी हैंडिल लगाना जरूरी है, ताकि पीछे बैठी सवारी उसे पकड़ कर सुरक्षित रहे। इतना ही नहीं उसके लिए फुट रेस्ट और बाइक के पिछले पहिये को आधे से ज्यादा ढंकने वाला सेफ्टी कवर भी जरूरी है।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2008 में आदेश दिया था कि सुरक्षा नियमों का पालन न करने वाली मोटर बाइकों का ट्रांसपोर्ट अथारिटी रजिस्ट्रेशन नहीं करेंगी। सोसाइटी आफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के इस अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर शुरूआती सुनवाई में ही 5 दिसंबर 2008 को हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

शुक्रवार को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने अपील खारिज कर दी। अपील खारिज होने से हाईकोर्ट के आदेश पर लगी अंतरिम रोक समाप्त हो गई है और हाईकोर्ट का आदेश बहाल हो गया है।

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