जानें क्या हुआ, जब ग्लेशियर की दरार में फंसी युवा वैज्ञानिक ?

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जानें क्या हुआ, जब ग्लेशियर की दरार में फंसी युवा वैज्ञानिक ?

पंद्रह हजार आठ सौ फीट की ऊंचाई पर आधी रात को ग्लेशियर के बीच फंसी पुणे की वैज्ञानिक को साथी पर्वतारोहियों ने सुरक्षित निकाल लिया। सुनकर हैरानी होती है लेकिन ये सच्ची घटना है। दरअसल नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के नेतृत्व में 27 मई को पुणे की जयश्री डुम्बरे (33 वर्ष) के साथ 34 अन्य युवतियां


पंद्रह हजार आठ सौ फीट की ऊंचाई पर आधी रात को ग्लेशियर के बीच फंसी पुणे की वैज्ञानिक को साथी पर्वतारोहियों ने सुरक्षित निकाल लिया। सुनकर हैरानी होती है लेकिन ये सच्ची घटना है। दरअसल नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के नेतृत्व में 27 मई को पुणे की जयश्री डुम्बरे (33 वर्ष) के साथ 34 अन्य युवतियां एडवांस कोर्स के लिए उत्तरकाशी से द्रौपदी का डांडा के लिए रवाना हुए थे। 15 जून को इन प्रशिक्षणार्थियों की टीम 15 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित कैंप-1 में पहुंचे। 16 जून की सुबह 6 बजे द्रौपदी का डांडा जो कि 18 हजार 600 फीट की ऊंचाई पर है उन्हें फतेह करना था। इसलिए 15 जून की रात की डेढ़ बजे ही सभी प्रशिक्षार्थियों ने पर्वतारोहण की तैयारी शुरू कर दी।

पर्वतारोहण की तैयारी के समय जयश्री अपनी साथी कस्तुरी के साथ थी। अचानक जयश्री के पांव के नीचे से बर्फ की सतह टूटी और वे 100 फीट गहरे क्रेवास (ग्लेशियर) के बीच में फंस गई। उन्होंने धैर्य नहीं खोया और साथी कस्तूरी को कैंप से मदद लेकर आने को कहा। कस्तूरी ने कैंप में आकर जयश्री के क्रेवास में गिरने की सूचना दी। कैंप में मौजूद दल तुरंत ही हरकत में आया और कस्तूरी के साथ जयश्री को सकुशल बाहर निकालने निकल पड़ा।

बचाव दल ने जयश्री को सकुशल बाहर निकालने के लिए तुरंत ही प्रभावी कदम उठाने शुरू किए। रात के डेढ़ बजे प्रशिक्षक शिवराज सिंह पंवार क्रेवास में उतरे। लेकिन पहली बार जयश्री को निकालने में असफल रहे। दूसरी बार प्रशिक्षक उम्मेद सिंह राणा क्रेवास में उतरे। उम्मेद ने जयश्री के हाथ पर टेप के जरिये रस्सी बांधी। लेकिन यह प्रयास भी असफल रहा।

तीसरे प्रयास में शिवराज सिंह फिर क्रेवास में उतरे। पहले उन्होंने जयश्री के दोनों हाथों पर रस्सी बांधी। फिर ग्लेशियर के बीच से उन्हें निकालने के बर्फ के ऊपर गर्म पानी डाला। तब जाकर जयश्री को निकाला जा सका। यह रेस्क्यू एक घंटा 35 मिनट तक चला।

20 जून की रात को उत्तरकाशी पहुंचने तथा 21 जून को स्वास्थ्य उपचार लेने के बाद 22 जून को जयश्री ने निम में पत्रकारों से बात की। धातु विज्ञान की सीनियर वैज्ञानिक जयश्री ने कहा कि जब वह 100 फीट गहरे क्रेवास के बीच में फंसी थी, तब उसे ख्याल आया था कि अगर वह बच गई तो पूरा जीवन पर्वतारोहण के लिए ही काम करेंगी।

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