शरद पूर्णिमा | जानें क्या है पूजा विधि और इन दिन का महत्व

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शरद पूर्णिमा | जानें क्या है पूजा विधि और इन दिन का महत्व

देहरादून(उत्तराखंड पोस्ट) आज यानि 24 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। इसे कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके व्रत रखा जाता है। धार्मिक आस्था है कि शरद पूर्णिमा की रात में आसमान से अमृत की वर्षा होती है।


देहरादून(उत्तराखंड पोस्ट) आज यानि 24 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। इसे कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके व्रत रखा जाता है।  धार्मिक आस्था है कि शरद पूर्णिमा की रात में आसमान से अमृत की वर्षा होती है। पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि इसकी सुंदरता को निहारने के लिए स्वयं देवता भी धरती पर आते हैं।शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु यानि सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है।

मान्यता है कि आज रात को चंद्रमा संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और अपनी चांदनी में अमृत बरसाता है। ज्योतिषाचार्य ओम प्रकाश सती ने बताया कि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को रात 10:38 हो चुकी है। पूर्णिमा तिथि आज यानी 24 अक्टूबर रात 10:14 बजे समाप्त हो रही है। आज रात कुछ उपाय करने से आपको लाभ प्राप्त होगा। यह उपाय कोई भी अपनी जरूरत के अनुसार कर सकता है। शरद पूर्णिमा की रात में आज भी ब्रह्मांड में कहीं राधा-कृष्ण का महारास होता है। 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा की रोशनी होते ही 64 कलाओं के अवतार भगवान कृष्णा राधा के साथ महारास रचाते हैं। द्वापर में बृज में भी इसी दिन गोपियों के साथ कृष्ण ने महारास किया था।

ब्रह्मा के दरबार में शरद पूर्णिमा की रात्रि में महारास करते हुए राधा-कृष्ण जलरूप हो गए और वही जल गंगा बनी। शरद पूर्णिमा का पर्व अश्विन शुक्ल कृष्ण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि 16 कलाओं से युक्त पूर्ण चंद्र से इस रात्रि सोम वृष्टि होती है। शरद पूर्णिमा वास्तव में शरद का समापन और हेमंत ऋतु का आगमन पर्व भी है।पूर्णिमा के दिन सुबह इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करके घी के दीपक जलाना चाहिए। पुष्प चढ़ाएं। ब्राह्मणों और कन्याओं को खीर का भोजन कराएं और दक्षिणा दें। रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें। मंदिर में खीर दान करें।

शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो विवाहित स्त्रियां इसका व्रत करती हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। जो माताएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्चे दीर्घायु होते हैं। वहीं अगर कुंवारी कन्याएं यह व्रत रखें तो उन्हें मनवांछित पति मिलता है।- धन प्राप्ति के लिए रात में घर में घी के 11 दीपक लगाकर श्रीसूक्त का 31 पाठ करें।रात में कमलगट्टटे की माला से ‘ ऊं श्रीं ‘ मंत्र की 21 माला जाप करें।रात को ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।

रात में विष्णुसहस्रनाम के 21 पाठ करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती।विवाहित जोड़े काम-विलास से दूर रहें। नहीं तो विकलांग संतान होगी या उसे कोई जानलेवा बीमारी हो सकती है।शाम को राधा कृष्ण की उपासना करें।- अगर विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में न लगता हो तो वो चंद्र रत्न धारण करके अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है । चंद्रमा की चांदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है। रात में 10 बजे से 12 बजे के बीच चंद्रा की रोशनी में कम वस्त्रों में बैठने को ऊर्जा मिलती है।

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