टीडीसी घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन

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टीडीसी घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन

देहरादून/ऊधम सिंह नगर [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] एनएच-74 भूमि मुआवजा घोटाले की जांच के बाद अब उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम (टीडीसी) की जांच के लिए भी एसआईटी का गठन किया गया है। शासन के आदेश पर एएसपी रुद्रपुर के नेतृत्व में गठित टीम में एक सीओ, तीन इंस्पेक्टर और एक दरोगा को शामिल किया


टीडीसी घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन

देहरादून/ऊधम सिंह नगर [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] एनएच-74 भूमि मुआवजा घोटाले की जांच के बाद अब उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम (टीडीसी) की जांच के लिए भी एसआईटी का गठन किया गया है। शासन के आदेश पर एएसपी रुद्रपुर के नेतृत्व में गठित टीम में एक सीओ, तीन इंस्पेक्टर और एक दरोगा को शामिल किया गया है। घोटाले का खुलासा होने के बाद मामले में दस नामजद लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

वर्ष 2015-16 में उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम की तत्कालीन प्रबंध निदेशक डा. ज्योति नीरज खैरवाल ने निगम में गेहूं बीज विक्रय में हुए घोटाले का खुलासा किया था। अपर मुख्य सचिव कृषि की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर निगम के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सीके सिंह ने बीती 7 अगस्त को पंतनगर थाने में तहरीर दी। इसमें टीडीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक डॉ.पीएस बिष्ट, कंपनी सचिव आरके निगम, मुख्य अभियंता पीके चौहान, मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी डॉ. दीपक पांडे, उप मुख्य वित्तीय अधिकारी बीडी तिवारी, लेखाधिकारी अतुल पांडे, उप मुख्य विपण अधिकारी अजीत सिंह, उप मुख्य विपणन अधिकारी एके लोहनी, प्रशासनिक अधिकारी शिवमंगल त्रिपाठी और लेखाकार जीसी तिवारी को आरोपी बनाया था। इनके खिलाफ धारा 409 और 420 के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई थी। एएसपी सिटी रुद्रपुर देवेंद्र पिंचा के नेतृत्व में गठित स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम में सीओ सिटी स्वतंत्र कुमार, इंस्पेक्टर पंतनगर संजय पाठक, एसएचओ दिनेशपुर डीआर वर्मा, सिडकुल चौकी प्रभारी नरेश पाल और इंस्पेक्टर एनएन पंत को शामिल किया गया है। एसआईटी की जांच में कई बड़े अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब होंगे।

क्या है मामला ? | वर्ष 2015-16 में गेहूं का बीज समय पर न बिकने के कारण टीडीसी को करीब 16 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। घाटे का कारण बिना किसी योजना के बीज का अधिक उत्पादन करना और वितरकों को लाभ पहुंचाना बताया गया था। उस समय टीडीसी के चेयरमैन डॉ. हरक सिंह रावत और प्रबंध निदेशक डॉ.पीएस बिष्ट थे। किसानों ने जांच के लिए टीडीसी मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर चार सदस्यीय समिति गठित की गई थी। अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति में पुलिस महानिदेशक बीएस मर्तोलिया, अपर मुख्य सचिव कार्मिक सुनील श्रीपात्री, कृषि निदेशक गौरीशंकर आर्या को शामिल किया गया था। चार सदस्यीय समिति ने मामले की जांच कर बीती 28 जून को रिपोर्ट शासन का सौंपी। जांच रिपोर्ट में 10 अधिकारी घाटे के दोषी पाए गए थे। आरोप था कि अधिकारियों ने यूपी और बिहार में वितरकों को भेजे गए बीज को कई दिनों स्टोर में रखा। बाद में बीज को खराब बताकर 30 प्रतिशत की छूट और 40-40 किलो के दो बैग के साथ एक बैग मुफ्त देने की योजना बनाकर वितरकों को बेच दिया। इससे निगम को लगभग 16 करोड़ का नुकसान हुआ।

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