नरेंद्र नगर से सरकारी दफ्तरों को नई टिहरी शिफ्ट करने पर रोक बरकरार
हाई कोर्ट ने टिहरी गढ़वाल के नरेंद्र नगर से सरकारी दफ्तरों को नई टिहरी शिफ्ट किए जाने को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद दफ्तरों को फिलहाल शिफ्ट नहीं किया जा सकता। अगली सुनवाई 19 जुलाई नियत की गई है। वहीं पर्यटन
हाई कोर्ट ने टिहरी गढ़वाल के नरेंद्र नगर से सरकारी दफ्तरों को नई टिहरी शिफ्ट किए जाने को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद दफ्तरों को फिलहाल शिफ्ट नहीं किया जा सकता। अगली सुनवाई 19 जुलाई नियत की गई है। वहीं पर्यटन मंत्री दिनेश धनै के बेटे ने भी जनहित याचिका दायर कर नरेंद्र नगर से सरकारी दफ्तरों को नई टिहरी शिफ्ट करने की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ता व अखिल भारतीय पंचायत विकास संगठन के प्रांतीय प्रवक्ता वाचस्पति रयाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नरेंद्र नगर को टिहरी के राजा नरेंद्र शाह द्वारा 1919 में बसाया गया था। 1950 तक टिहरी नरेश की नरेंद्र नगर राजधानी रही। 1989 तक नरेंद्र नगर टिहरी का जिला मुख्यालय था, लेकिन अब वहां से सरकारी दफ्तरों को हटाया जा रहा है। उधर पर्यटन मंत्री दिनेश धनै के बेटे कनक धनै ने जनहित याचिका दायर कर नरेंद्र नगर से सरकारी दफ्तरों को हटाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि नरेंद्र नगर जाने में दूरदराज के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहा पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। नई टिहरी जिला मुख्यालय बन गया है और जिला मुख्यालय में ही जिला स्तरीय अधिकारियों के कार्यालय होने चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि नरेंद्र नगर में सरकारी कार्यालय किराये में संचालित हो रहे हैं। जबकि नई टिहरी में कार्यालय भवन खाली पड़े हैं।
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