सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने का दिया आदेश, जानें क्या हैं ये

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सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने का दिया आदेश, जानें क्या हैं ये

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखे जलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन पर्यावरण को देखते हुए कुछ बंदिशें भी लगा दी हैं। दिवाली या अन्य किसी त्योहार पर सिर्फ ग्रीन पटाखे यानी कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण के खराब होते हालात को


नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखे जलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन पर्यावरण को देखते हुए कुछ बंदिशें भी लगा दी हैं। दिवाली या अन्य किसी त्योहार पर सिर्फ ग्रीन पटाखे यानी कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण के खराब होते हालात को देखते हुए दिवाली पर पटाखे जलाने का लोगों को तोहफा दे दिया है। हालांकि लोगों के लिए ऐसे पटाखे ढूंढना काफी मुश्किल होगा। क्योंकि ऐसे पटाखे बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं बन रहे हैं। अधिकतर दुकानदारों को इस बारे में पता भी नहीं होता।

सीएसआईआर के ग्रीन पटाखों के जरिए खतरनाक सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड के साथ ही छोटे-छोटे कणों के उत्सर्जन में करीब 35 फीसदी की कमी की जा सकती है। लेकिन अभी ये कहना काफी मुश्किल है कि ये पटाखे लोगों को दिवाली से पहले मिल पाएंगे या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पर्यावरण के अनुकूल पटाखों का जिक्र किया है। जिसे ईको फ्रेंडली या ग्रीन पटाखे नाम दिया गया है। केंद्रीय विज्ञान एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) को इनकी तकनीक बनाने का निर्देश दिया था।

पटाखों में कागज का इस्तेमाल जहरीला धुआं पैदा करता है वहीं इनमें इस्तेमाल बेरियम और स्ट्रांटियम जैसी धातु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। प्रदूषण फैलाने वाले रसायन परचोरेलेट की जगह नाइट्रोसेलुलोज का इस्तेमाल भी बेहतर रहेगा। कोर्ट का कहना है कि ग्रीन पटाखों का मतलब कम धुएं, कम आवाज और घातक रसायनों के न होने से है।

पटाखों के निर्माण के बड़े केंद्र तमिलनाडु के शिवकाशी में पटाखा निर्माताओं की संस्था का कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट के केवल ग्रीन पटाखों की अनुमति के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। तमिलनाडु फायरवर्क्स एसोसिएशन का कहना है कि ग्रीन पटाखों जैसा कुछ नहीं होता।

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