एक अप्रैल से इन 2 सरकारी बैंकों का नाम हो जाएगा खत्म, जानिए वजह
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) अंतरिम बजट के बाद आरबीआई निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत बैठक को संबोधित करते हुए अरुण जेटली ने बैंकों को लेकर कहा कि बैंक सही और सुचारू रूप से काम करें, इसके लिये देश को गिने चुने बड़े बैंकों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एसबीआई विलय का हमारे
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) अंतरिम बजट के बाद आरबीआई निदेशक मंडल के साथ होने वाली परंपरागत बैठक को संबोधित करते हुए अरुण जेटली ने बैंकों को लेकर कहा कि बैंक सही और सुचारू रूप से काम करें, इसके लिये देश को गिने चुने बड़े बैंकों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि एसबीआई विलय का हमारे पास अनुभव है और अब इस क्षेत्र में दूसरा विलय हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहां तक बैंक क्षेत्र की बात है, भारत को गिने-चुने बड़े बैंकों की जरूरत है जो हर मायने में मजबूत हो। कर्ज की दर से लेकर बड़े पैमाने की मितव्ययिता के अनुकूलतम उपयोग तक में इसका लाभ उठाने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने देना बैंक, विजया बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दे दी। इससे देश में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के बाद यह तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। इन तीनों बैंका का विलय एक अप्रैल 2019 से प्रभाव में आएगा। इस विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी।
Sharing my interactions with media after the RBI Central Board meeting, Feb 18, 2019 https://t.co/yk3Cacaj6o
— Arun Jaitley (@arunjaitley) February 18, 2019
केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि इन तीनों बैंकों के विलय से कर्मचारी प्रभावित नहीं होंगे. एक भी कर्मचारियों की छंटनी नहीं होगी, क्योंकि देना और विजया बैंक के कर्मचारियों को बैंक ऑफ बड़ौदा में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
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