आज शनि अमावस्या में बन रहा दुर्लभ संयोग, शनि को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) आज यानि 5 जनवरी को पौष मास की शनिश्चरी अमावस्या पड़ रही है। हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व होता है। यह महीने का सबसे अंधेरे वाले रात होती है। इस रात को वर्ष की सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली रात भी मानी जाती है।साल में 12 अमावस्या होती
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) आज यानि 5 जनवरी को पौष मास की शनिश्चरी अमावस्या पड़ रही है। हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व होता है। यह महीने का सबसे अंधेरे वाले रात होती है। इस रात को वर्ष की सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली रात भी मानी जाती है।साल में 12 अमावस्या होती हैं।
आज से शुक्ल पक्ष की शुरुआत या चंद्र महीने में उज्ज्वल पखवाड़े की शुरुआत हो रही है। मान्यताओं के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनिदेव का विधिवत पूजन करने से अवश्य लाभ मिलता है। इस बार अमावस्या पर संयोग ही है कि सायंकाल 3.08 बजे तक गंडमूल बने रहेंगे। उसके बाद पैदा होने वाले बच्चे गंडमूल से मुक्त हो जाएंगे। शनिश्चरि अमावस्या पितृ कर्म की दृष्टि से व्यापक महत्व है।
ज्योतिष के अनुसार मूल नक्षत्र का पड़ना शिशु दोष को जन्म देता है।जो बच्चे गंडमूल में पैदा होते हैं, उनके नामकरण से पूर्व मूल के अनेक संस्कार कराने पड़ते हैं। गंडमूल दोपहर बाद संपन्न हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्य गौरव आर्य ने बताया कि इस दिन जौ, चावल, काले तिल, खीर और नींबू को एक पत्तल पर रखकर दोपहर में पीपल के वृक्ष के नीचे रखकर पितृ दोष को समाप्त किया जा सकता है। यह हर महीने होता है।
शनि अमावस्या के दिन शनि को प्रसन्न करने के लिए उड़द, तेल, तिल, कुलथी, भैंस, लोहा, दक्षिणा और श्याम वस्त्र दान करें। शाम के समय पीपल वृक्ष के चारों ओर सात बार कच्चा सूत लपेटें। पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ज्ञात-अज्ञात अपराधों के लिए क्षमा मांगें।
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