उत्तराखंड | पलायन रोकने और रोजगार देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार का प्लान, लोगों से की ये अपील

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उत्तराखंड | पलायन रोकने और रोजगार देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार का प्लान, लोगों से की ये अपील

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) पर्यटन विभाग द्वारा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना तथा दीनदयाल होमस्टे योजनाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य के सभी जनपदों के विभिन्न स्थानों पर जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे। सचिव पर्यटन, दिलीप जावलकर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि विभागीय अधिकारियों द्वारा शिविर


उत्तराखंड | पलायन रोकने और रोजगार देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार का प्लान, लोगों से की ये अपील

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) पर्यटन विभाग द्वारा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली  स्वरोजगार योजना तथा  दीनदयाल होमस्टे योजनाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य के सभी जनपदों के विभिन्न स्थानों पर जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे।

सचिव पर्यटन, दिलीप जावलकर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि विभागीय अधिकारियों द्वारा शिविर लगाकर स्थानीय लोगों को इन योजनाओं के विषय में बारीकी से जानकारी दी जाएगी। राज्य सरकार का उद्देश्य अंतिम व्यक्ति तक इन योजनाओं का अधिकतम लाभ पहुंचाना है।

उन्होंने कहा कि इन दोनों ही स्वरोजगार योजनाओं के अंतर्गत उद्यमियों को आकर्षक सब्सिडी एवं ऋण का प्रावधान किया गया है।वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में किसी भी प्रकार के पर्यटन से संबंधित उद्यम लगाने पर मैदानी क्षेत्रों में 25% तथा पर्वतीय क्षेत्रों में 33% की ऋण सब्सिडी मुहैया कराई जाती है। जबकि पर्यटक वाहन खरीदने की दशा में मैदानों तथा पर्वतीय क्षेत्रों में एक समान 25% की सब्सिडी दी जाती है।

उत्तराखंड | पलायन रोकने और रोजगार देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार का प्लान, लोगों से की ये अपील

होम स्टे योजना को वह राज्य की बेरोजगारी तथा पलायन की समस्या का समाधान बताते हुए कहते हैं कि यदि स्थानीय लोग अपने घरों को होमस्टे के रूप में पंजीकृत करवाते हैं अथवा अपनी भूमि पर नया होमस्टे बनवाते हैं या पुराने मकान का जीर्णोद्धार कर उसे होमस्टे के रूप में चलाते हैं तो इससे दूरस्थ क्षेत्रों में स्थानीय पर्यटन अवसंरचनाओं की भरपाई होगी। इस प्रकार (विशेष रुप से) नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण पर्वतीय क्षेत्रों को पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जा सकेगा। वे आगे बताते हैं कि यदि एक क्षेत्र विशेष में 6 या अधिक होमस्टे पंजीकृत होते हैं तो सरकार सड़क, बिजली, पानी, पार्क  आदि अवस्थापना कार्य करवाते हुए इसे क्लस्टर के रूप में विकसित करेगी और इसका राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर  पर प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।

होम स्टे योजना के अंतर्गत मैदानी क्षेत्रों में 25% अथवा साढे सात लाख और पर्वतीय क्षेत्रों में 33% अथवा 10 लाख रुपए तक की छूट का प्रावधान किया गया है यही नहीं ब्याज में भी पहले 5 वर्ष तक मैदानी क्षेत्रों में रुपए एक लाख तथा पर्वतीय क्षेत्रों में रुपए डेढ़ लाख प्रतिवर्ष तक की छूट रखी गई है।

ग्रामीण लोगों को इस योजना की अधिकतम जानकारी उपलब्ध कराने के लिए शिविर लगाए जाने हेतु जनपदीय अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है। इन शिविरों में पर्यटन विभाग तथा बैंक के प्रतिनिधियों द्वारा लाभार्थियों को योजना से संबंधित औपचारिकताओं तथा उन्हें सरलता पूर्वक पूरा करने संबंधी विस्तृत जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि  जो भी व्यक्ति हॉस्पिटैलिटी अर्थात् आतिथ्य सत्कार के क्षेत्र में कार्य करने का इच्छुक हों, वे अपने मकान को होमस्टे के रूप में पंजीकृत करवा सकते हैं तथा इसे पर्यटक आवास के रूप प्रयोग में ला सकते हैं।

 उन्होंने गांव छोड़ चुके लोगों से भी अपील की  कि वो अपने गांव वापस लौट कर सरकार की इस योजना का लाभ उठाते हुए अपने पैतृक आवासों तथा  छानियों का पुनरुद्धार करें और उन्हें होमस्टे के रूप में संचालित करें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार एक बार फिर गांव अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर सकेंगे।

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