त्रिवेंद्र सरकार के सौ दिन, खाली कुर्सियां कुछ कहती हैं सरकार !

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त्रिवेंद्र सरकार के सौ दिन, खाली कुर्सियां कुछ कहती हैं सरकार !

देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के 100 दिन पूरे होने पर जनता ने सरकार को करारा झटका दिया। देहरादून के परेड ग्राउड में अपनी 100 दिन की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकारी पैसे से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। सरकार को उम्मीद थी कि हासिल पाई


देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के 100 दिन पूरे होने पर जनता ने सरकार को करारा झटका दिया। देहरादून के परेड ग्राउड में अपनी 100 दिन की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकारी पैसे से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। सरकार को उम्मीद थी कि हासिल पाई के जलसे से रु-ब-रू होने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आम जन भी आएंगे। पांडल में जयकारे लगेंगे और सरकार को जनता अपने रूझान से गदगद कर देगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं, आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं(

पहले तो पांडल ही नही भरा रही सही कसर मंच के सियासी माहौल ने कर दी। ताज्जुब की बात है कि मौजूद जनता ने जितनी तेजी से सरकार को उठाया उतनी तेजी से जमीन पर पटक भी दिया। नतीजतन सरकार सकते मे आ गई।

दरअसल हुआ ये कि राज्य के सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग ने सरकार की उलब्धियों का गुणगान करने के वास्ते एक विकास पुस्तिका छपवाई। जैसे ही इस पुस्तिका का विमोचन हुआ तत्काल बाद जनता ने परेड ग्राउंड छोडना शुरु कर दिया। सरकार के संबोधन में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजतन पांडल की कुर्सियां एक के बाद एक खाली होने लगी। हालांकि पांडल पहले भी खचाखचा भरा नहीं था लेकिन जो बचे-खुचे थे वो भी एक-एक कर 100 दिन के आयोजन को छोड कर जाने लगे। गौरतलब है कि, इससे पहले मोदी सरकार के तीन साल वाला फक्शंन भी उत्तरकाशी में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को भी उदास कर गया था।

खैर सरकार को भी समझ में नहीं आ पा रहा है कि चुनाव के दौरान जो जनता उन्हें हाथों हाथ ले रही थी सत्ता में भेजने के बाद उससे किनारा क्यों कर रही है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि, आखिर जिस पार्टी की प्रचंड बहुमत वाली सूबे में सरकार है उसके कार्यक्रमों से जनता किनारा क्यों कर रही है ? क्या जनता 100 दिन मे ही सरकार के एजेंडे को समझ गई है या सरकार जनता को सही तरीके से समझा नहीं पा रही है। बहरहाल आप भी देखिए परेड ग्राउड की उस तस्वीर को जिसे देखकर तय है कि सरकार मंथन को मजबूर होगी।

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