अक्टूबर में गैरसैंण में होगा उत्तराखंड विधानसभा का सत्र: कुंजवाल

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अक्टूबर में गैरसैंण में होगा उत्तराखंड विधानसभा का सत्र: कुंजवाल

विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आने के साथ ही एक बार फिर गैरसैंण का जिन्न बाहर आ गया है। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने संकेत दिए हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले अक्टूबर महीने में गैरसैंण में विधानसभा सत्र बुलाया जा सकता है। देहरादून में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि विधानसभा का


अक्टूबर में गैरसैंण में होगा उत्तराखंड विधानसभा का सत्र: कुंजवाल

अक्टूबर में गैरसैंण में होगा उत्तराखंड विधानसभा का सत्र: कुंजवालविधानसभा चुनाव की तारीख करीब आने के साथ ही एक बार फिर गैरसैंण का जिन्न बाहर आ गया है। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने संकेत दिए हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले अक्टूबर महीने में गैरसैंण में विधानसभा सत्र बुलाया जा सकता है। देहरादून में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि विधानसभा का सत्र अक्टूबर माह में गैरसैंण में बुलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा का अंतिम सत्र गैरसैंण में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चार और पांच जुलाई को दो दिनी विशेष सत्र देहरादून में होने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अक्टूबर में गैरसैंण में विधानसभा सत्र होने तक वहां सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके बाद वहां संसदीय रिसर्च सेंटर की स्थापना की जानी चाहिए। गैरसैंण का नाम विलुप्त होता जा रहा था।

गैरसैंण में हुए काम बड़ी उपलब्धि | कुंजवाल ने कहा कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद गैरसैंण में हुए काम सरकार की को सबसे बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से गैरसैंण में स्थाई राजधानी बनाने के पक्ष में हैं। उम्मीद है कि राज्य सरकार समय आने पर गैरसैंण पर सही फैसला लेगी। इस मामले में उन्होंने सभी दलों के सहयोग को जरूरी बताया।

पलायन पर लगेगी रोक | स्पीकर ने कहा कि कर्णप्रयाग रेल लाइन, चौखुटिया-रामनगर रेल योजना में केंद्र को तेजी लाने की जरूरत है। रेल लाइन बनने, भराड़ीसैंण के समीप एयरपोर्ट बनने, गौचर हैलीपैड का निर्माण होने और गैरसैंण में सभी ढांचागत विकास होने के बाद वह देश की सबसे उत्कृष्ट राजधानी बन सकेगा। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही पलायन पर रोक लगेगी।

बजट बहाल ना होना दुर्भाग्यपूर्ण | स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि राज्य में हरीश रावत सरकार के विश्वासमत हासिल करने के बाद बहाल होने के बाद भी बजट पर राज्यपाल की मुहर न लग पाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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