…तो बच जाएगी उत्तराखंड की रावत सरकार

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…तो बच जाएगी उत्तराखंड की रावत सरकार

उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार पर छाया संकट फिलहाल कुछ दिनों तक तो थमता दिख रहा है। राज्यपाल से 28 मार्च तक विधानसभा में बहुमत साबित करने का वक्त मिलने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए राज्यपाल का ये फैसला राहत लेकर आया है तो रावत सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रही


उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार पर छाया संकट फिलहाल कुछ दिनों तक तो थमता दिख रहा है। राज्यपाल से 28 मार्च तक विधानसभा में बहुमत साबित करने का वक्त मिलने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए राज्यपाल का ये फैसला राहत लेकर आया है तो रावत सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रही मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के लिए मुसीबत। (पढ़ें-हरीश रावत को 28 मार्च तक सदन में साबित करना होगा बहुमत) इस दौरान हरीश रावत को बागियों को मनाने का समय मिल गया है तो भाजपा के लिए कांग्रेस के बागियों को अपने साथ रखना और अपने असंतुष्ट विधायकों को टूटने से बचाना बड़ी चुनौती है। (पढ़ें-बहुमत साबित नहीं कर पाया तो दे दूंगा इस्तीफा: रावत )

गौरतलब है कि भाजपा ने अपने विधायकों के साथ ही बागी कांग्रेस विधायकों को गुणगांव के एक बड़े होटल में ठहराया हुआ है। भाजपा के लिए एक सप्ताह तक इन सब को एक रखना आसान काम नहीं होगा। वह भी ऐसे वक्त पर जब मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद ये दावा कर चुके हैं कि भाजपा के 4-5 विधायकों ने उनसे संपर्क किया है, मतलब साफ है कि अगर रावत इन विधायकों का भरोसा जीतने में कामयाब हो जाते है तो ना सिर्फ रावत सरकार बच जाएगी बल्कि कांग्रेस के बागियों की मदद से उत्तराखंड की सत्ता में काबिज होने का भाजपा का ख्वाब धरा का धरा ही रह जाएगा।

(पढ़े-चुनाव के लिए भी तैयार हैं और सरकार बनाने के लिए भीः BJP)

तब बहुगुणा का विरोध, अब हरीश रावत का

कहते हैं कि राजनीति में ना तो कोई स्थायी दोस्त होता है और ना ही दुश्मन। उत्तराखंड की राजनीति मे एक वो वक्त भी था, जब 2012 में विजय बहुगुणा को कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया था तो यही हरक सिंह रावत हरीश रावत के साथ खड़े थे। आज की तस्वीर इसकी एकदम उल्ट है, आज हरीश रावत मुख्यमंत्री हैं तो हरक सिंह रावत और विजय बहुगुणा ने साथ मिलकर बगावत का झंडा बुलंद कर लिया है। (पढ़ें-हरक सिंह रावत व महाधिवक्ता को पद से हटाने की सिफारिश)

तब बहुगुणा पर निशाना, अब बहुगुणा का साथ

ऐसा ही कुछ हाल भाजपा का भी है, जो भाजपा विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते हुए उन पर आपदा में भ्रष्टाचार के आरोप  लगाते हुए विजय बहुगुणा के खिलाफ झंडा बुलंद करके खड़ी थी, वही भाजपा आज बहुगुणा के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा कर रही है। (पढ़ें-विजय बहुगणा शर्मिंदा नहीं हैं, लेकिन हम शर्मिंदा हैं : हरीश रावत)

बहरहाल राज्यपाल का रावत सरकार को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने का वक्त देना हरीश रावत के लिए किसी संजीवनी की ही तरह है। अब देखना ये होगा कि राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले हरीश रावत अपनी सियासी चालों से भाजपा और बागियों को चित कर अपनी सरकार बचा ले जाएंगे या नहीं।

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