उद्योगों को 24 घंटे बिजली देने के लिए कानून बनाएगी सरकार: CM

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उद्योगों को 24 घंटे बिजली देने के लिए कानून बनाएगी सरकार: CM

रविवार को न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में हाल ही में एसोचैम द्वारा जारी की गई रिपोर्ट पर एसोचैम के पदाधिकारियों, शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, राज्य के प्रमुख उद्योगपतियों, बुद्धिजीवियों व पत्रकारों का इंटरएक्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उक्त रिपोर्ट में उभर कर आए विभिन्न बिंदुओं


रविवार को न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में हाल ही में एसोचैम द्वारा जारी की गई रिपोर्ट पर एसोचैम के पदाधिकारियों, शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, राज्य के प्रमुख उद्योगपतियों, बुद्धिजीवियों व पत्रकारों का इंटरएक्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उक्त रिपोर्ट में उभर कर आए विभिन्न बिंदुओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि विगत में कई राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा उत्तराखण्ड की प्रगति पर बहुत उत्साहवर्धक रिपोर्ट की गई है। भरत सरकार के नीति आयोग द्वारा भी सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में उत्तराखण्ड को लिया गया है और इसे दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण बताया गया है। विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित संगठन के सर्वे में भी ईज ऑफ डूईंग बिजनेस में हम पहले स्थान पर चल रहे हैं जबकि एक वर्ष पहले ही हम 23 वें स्थान पर थे। अब एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट ‘उत्तराखण्ड ऑन एक्सप्रेसवे टू ग्रोथ’ के शीर्षक से अपनी रिपोर्ट दी है जो कि हमारे लिए बहुत ही प्रसन्नता की बात है।

रावत ने कहा कि हमारी औद्योगिक विकास दर 16.5 प्रतिशत है। इसे बनाए रखना हमारे लिए बड़ी चुनौती होगी। कृषि विकास दर 2013-14 में ऋणात्मक थी जो कि 2014-15 में 5.1 प्रतिशत धनात्मक हो गई है। ऐसा गूलों, ट्यूबवैल, हौज में वृद्धि, बिजली की उपलब्धता के साथ ही कृषि के क्षेत्र में की गई विभिन्न पहलों का परिणाम है। वर्ष 2013 के बाद हम सेवा क्षेत्र को लेकर चिंतित थे। हमारा सेवा क्षेत्र पर्यटन पर आधारित है। हम विशेष प्रयासों से पूरी दुनिया को सुरक्षित उत्तराखण्ड का संदेश देने में कामयाब रहे। इसी का परिणाम है कि इस वर्ष चारधाम यात्रा पर रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु यहां आए। जिससे हमारी सेवा क्षेत्र की विकास दर में 2012-13 के बाद लगातार बढ़ोतरी हुई है। हमारा लक्ष्य इसे 20 प्रतिशत तक ले जाने का है। शिक्षा में हमारे पास विस्तृत ढांचा है। हमें संख्यात्मक को गुणात्मक में बदलना है। हम अपने कुछ स्कूलों, आईटीटाई, पाॅलिटेक्नीक को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने पर काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में डाक्टरों की अनुपलब्धता हमारे लिए बड़ी चुनौती है। वर्ष 2005 से डाक्टरों की भर्ती नहीं हुई थी। अब हम इस दिशा में कुछ आगे बढ़े हैं। डाक्टरों की कमी को देखते हुए आयुर्वेदिक, दंतचिकित्सकों, फार्मासिस्टों की भर्ती पर विशेष फोकस कर रहे हैं। हम मेडिकल सेलेक्शन बोर्ड बनाने जा रहे हैं। हमारी मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना से न केवल जनसामान्य लाभान्वित होंगे बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राईवेट क्षेत्र प्रेरित होगा। वर्ष 2017 तक एम.एस.बी.वाई. सही दिशा ले लेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रक्रियाओं को काफी सरल किया है। हम सबसे सस्ती बिजली दे रहे हैं। औसतन 23 घंटे बिजली दे रहे हैं। हमारी कोशिश है कि अगले वर्ष तक उद्योगों को 24 घंटे बिजली कानूनन देने का प्राविधान कर दिया जाए। उत्तराखण्ड कानून व्यवस्था में दूसरे राज्यों की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में है। हमारे यहां औद्योगिक संबंध बहुत ही शांतिपूर्ण है। मानव संसाधन भी उत्तराखण्ड का सकारात्मक पक्ष है। कृषि विकास दर को बढ़ाने के लिए कई प्रकार की पहलें की गई हैं। हम लीज पॉलिसी बनाने जा रहे हैं जिससे भूमि लीज पर लेकर सामूहिक खेती की जा सके। गैर संगठित क्षेत्र के लिए हमारा फोकस उनके सामाजिक सुरक्षा पर है। गैर संगठित क्षेत्र के लगभग 50 प्रतिशत श्रमिक पंजीकृत हैं। अल्प आय वर्ग के लिए हाउसिंग क्षेत्र को भी प्राथमिकता पर लेते हुए योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इस अवसर पर विभिन्न उद्येगपतियों, बृद्धिजीवियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

एसोचैम द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखण्ड तेजी से प्रगति के पथ पर है। जीएसडीपी की वृद्धि दर 10 वर्षो के अंतराल में 12.1 प्रतिशत वार्षिक रही है। जो कि प्रमुख राज्यों में सर्वाधिक है। आर्थिक वृद्धि दर 2012 में 7.4 प्रतिशत थी जो कि 2014-15 में 9.3 प्रतिशत हो गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्तराखण्ड का आर्थिक योगदान बढ़कर 1.24 प्रतिशत हो गया है। 2013-14 में कृषि विकास दर ऋणात्मक थी जो कि एक वर्ष में ही सकारात्मक 5.1 प्रतिशत हो गई है। औद्योगिक वृद्धि दर वर्ष 2004-5 से 2014-15 तक के दस वर्षों में 16.5 प्रतिशत रही है जो कि भारत के 7.2 प्रतिशत की तुलना में कहीं अधिक हैं।  छोटी औद्योगिक इकाईयों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है।

एक विशेष बात यह रही है कि यहां की औद्योगिक वृद्धि रोजगार सापेक्ष रही है। वर्ष 2010-11 से 2013-14 के बीच उत्तराखण्ड में फैक्टरियों की संख्या में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि कारखानों में लगे हुए व्यक्तियों की संख्या में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि इसी अवधि में देश में फैक्टरियों की संख्या में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि कारखानों में लगे हुए व्यक्तियों की संख्या में केवल 6.6  प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्पष्ट है कि उत्तराखण्ड में औद्योगिक वृद्धि पूरे देश की तुलना में कहीं अधिक रोजगार देने वाला रहा है। इस अवसर पर एसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत, बाबूलाल जैन, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह आदि उपस्थित थे।

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