निम्न जातियों को किसी भी मंदिर में पूजा कराने से मना नहीं कर सकते: हाईकोर्ट

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निम्न जातियों को किसी भी मंदिर में पूजा कराने से मना नहीं कर सकते: हाईकोर्ट

नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को कहा कि एससी-एसटी और निम्न वर्ग के अन्य लोगों को उत्तराखंड के किसी भी मंदिर में पूजा करने और प्रवेश करने से न रोका जाए। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में अदालत ने ये भी कहा कि मंदिरों का पुजारी किसी


नैनीताल (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो)  उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को कहा कि एससी-एसटी और निम्न वर्ग के अन्य लोगों को उत्तराखंड के किसी भी मंदिर में पूजा करने और प्रवेश करने से न रोका जाए।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में अदालत ने ये भी कहा कि मंदिरों का पुजारी किसी भी जाति का हो सकता है लेकिन वह पुजारी पद के लिए प्रशिक्षित और योग्य हो।  कोर्ट ने हरिद्वार नगर सहित वहां सभी गलियों, सड़कों और फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने के भी निर्देश दिए।  कोर्ट ने कहा कि हरकी पैड़ी में स्वामी रविदास का एक ही मंदिर है इसलिए इस मंदिर का उचित रखरखाव व सौंदर्यीकरण तीन महीने के भीतर किया जाए।

राजस्थान निवासी पुखराज और अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार में छुआछूत बहुत प्रचलित थी और मंदिरों के पुजारी निम्न जाति के लोगों को पूजा करवाना तो दूर उनसे दान भी स्वीकार नहीं करते थे। इन लोगों को पूजा करवाने महा ब्राह्मणों के पास जाना पड़ता था।

याचिका में यह भी कहा गया था कि हरकी पैड़ी में इस वर्ग के लिए एकमात्र धर्मशाला है। इसी के एक कमरे में संत रविदास की मूर्ति स्थापित कर उनका मंदिर बनाया गया है। अर्द्ध कुंभ मेले के दौरान यहां सीढ़ियां बनाई गई थीं जो संजय पुल और संत रविदास मंदिर को जोड़ती हैं। इन सीढ़ियों के बनने पर मंदिर को बहुत नुकसान हुआ था और लोगों को मंदिर दर्शन से भी वंचित रहना पड़ा था। सरकार ने 2016 में एक आदेश पारित कर 42 लाख 17 हजार रुपये स्वीकृत किए थे ताकि इन सीढ़ियों को रविदास मंदिर से कुछ ही दूर शिफ्ट कर दिया जाए।

सरकार की ओर से कोर्ट को बताया कि संत रविदास मंदिर के सीढ़ियों के नीचे होने पर खुद भक्तगण ही आपत्ति करते थे, इसी कारण वहां से सीढ़ियों को शिफ्ट किया जा रहा है। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने जिला प्रशासन हरिद्वार को निर्देश दिए कि वह मंदिर की सीढ़ियां हटाने से पूर्व नगर निगम के अलावा एससी-एसटी वर्ग के लोगों के साथ बैठक कर सुलह संधि के आधार पर निर्णय लें। कोर्ट ने हरिद्वार शहर में सरकारी जमीन और वन क्षेत्र में हुए अतिक्रमण को चार सप्ताह का नोटिस देकर हटाने और सभी सड़कों, गलियों और फुटपाथ से दो हफ्ते का नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं।

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