उत्तराखंड को आयुष प्रदेश के रूप में विकसित करने की जरूरत: राज्यपाल

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उत्तराखंड को आयुष प्रदेश के रूप में विकसित करने की जरूरत: राज्यपाल

अपनी विशाल हर्बल संपदा के बल पर उत्तराखण्ड में ‘आयुष प्रदेश’ बनने की अपार संभावनायें मौजूद हैं। भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति ‘आयुष’ के पांच प्रमुख अंगों (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी) में से ‘आयुर्वेद’ और ‘योग’ उत्तराखण्ड की विशेषता है। प्रदेश को आयुष प्रदेश के रूप में विकसित किए जाने के लिए विशेष ध्यान


अपनी विशाल हर्बल संपदा के बल पर उत्तराखण्ड में ‘आयुष प्रदेश’ बनने की अपार संभावनायें मौजूद हैं। भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति ‘आयुष’ के पांच प्रमुख अंगों (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी) में से ‘आयुर्वेद’ और ‘योग’ उत्तराखण्ड की विशेषता है। प्रदेश को आयुष प्रदेश के रूप में विकसित किए जाने के लिए विशेष ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। शुक्रवार को देहरादून में ‘पी.एच.डी चैम्बर ऑफ उत्तराखण्ड’ द्वारा, ‘आयुष उत्तराखण्ड’ पर आयोजित एक सम्मेलन में राज्यपाल ने ये बात कही।

राज्यपाल ने कहा कि आयुष पद्धति में अधिकांश बीमारियों का ईलाज है, इस क्षेत्र में सभी संभावनाओं को पूरी क्षमता के साथ विकसित किए जाने  की आवश्यकता है, इससे उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था बहुत लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि ‘‘आयुर्वेद और योग” का उत्तराखण्ड से गहरा सम्बन्ध है। उत्तराखण्ड, औषधीय पादपों और पारंपरिक औषधीय ज्ञान की अक्षय निधि का भण्डार है। यहाँ के पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाने वाले औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों का प्रयोग बहुत सी बीमारियों के लिए इस्तेमाल किये जाने की परम्परा रही है, इन परम्पराओं को संरक्षित किये जाने की जरूरत है।’’ राज्यपाल ने कहा कि हरिद्वार पारंपरिक रूप से आयुर्वेदिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है किन्तु विगत कुछ वर्षों से ऋषिकेश भी आयुर्वेदिक चिकित्सा ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण गन्तव्य के रूप में विकसित हो रहा है।

राज्यपाल ने कहा, आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए तथा स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी इनसे उपचार की सुविधा मिलनी चाहिए।  राज्यपाल ने कहा कि जड़ी-बूटियों और औषधीय पादपों को एकीकृत तरीके से, इनसे सम्बन्धित उद्योगों से उनकी आवश्यकता के अनुसार जोड़कर पहाड़ों पर रोजगार के अवसर पैदा किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में 20 हजार से अधिक प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक हैं जिनमें योग की जन्म स्थली उत्तराखण्ड को World Capital of Yoga (योग के लिए दुनिया की राजधानी) बनाने की क्षमता है।

उन्होंने कहा कि आयुष की हिमालयी विरासत के प्रति लोगों का विश्वास स्थापित करने के लिए भारत की परम्परागत चिकित्सा प्रणाली की वैज्ञानिकता को मजबूत करना होगा। राज्य में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के साथ ही उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी परिषद(यू-कोस्ट) को महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करना होगा।

अपने सम्बोधन में राज्यपाल ने यह भी कहा कि मध्यवर्गीय भारतीय पर्यटकों को उनके बजट के अनुकूल सुविधाजनक माहौल में उपचार उपलब्ध कराने की दृष्टि से राज्य में अधिक आयुर्वेदिक केन्द्रों की आवश्यकता है। ‘वैलनैस टूरिज्म’ के प्रति बढ़ते रूझान के दृष्टिगत इस ओर विशेष ध्यान देकर गतिशीलता बढ़ाई गई तो सही मायने में ‘उत्तराखण्ड आयुष’ प्रदेश बन सकता है।   राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तराखण्ड पी.एच.डी चैम्बर द्वारा आयोजित यह सम्मेलन उत्तराखण्ड में आयुष के विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को विकसित करने में सक्षम होगा। सम्मेलन के दौरान राज्यपाल ने सोविनियर का भी विमोचन किया।

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