अच्छी ख़बर | आगे बढ़ रहा है अपना उत्तराखंड

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अच्छी ख़बर | आगे बढ़ रहा है अपना उत्तराखंड

वर्ष 2004-05 से 2014-15 के बीच साल दर साल विकास दर (सीएजीआर) के मामले में उत्तराखंड देश में शीर्ष स्थान पर रहा। इस दौरान उत्तराखंड ने उद्योग सेक्टर में 16.5 फीसद व सेवा क्षेत्र में 12.3 फीसद की सीएजीआर हासिल की। जबकि, राष्ट्रीय औसत सात फीसद पर सिमटा रहा। राज्य की विकास दर की तस्वीर


वर्ष 2004-05 से 2014-15 के बीच साल दर साल विकास दर (सीएजीआर) के मामले में उत्तराखंड देश में शीर्ष स्थान पर रहा। इस दौरान उत्तराखंड ने उद्योग सेक्टर में 16.5 फीसद व सेवा क्षेत्र में 12.3 फीसद की सीएजीआर हासिल की। जबकि, राष्ट्रीय औसत सात फीसद पर सिमटा रहा। राज्य की विकास दर की तस्वीर द एसोसिएट चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया (एसोचैम) के विश्लेषण में सामने आई। इस पर एसोचैम ने ‘उत्तराखंड ऑन एक्सप्रेस-वे टु ग्रोथ’ नाम से रिपोर्ट भी जारी की है।

एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि उत्तराखंड ने 2004-05 से 2014-15 के मध्य 12 फीसद से अधिक सीएजीआर प्राप्त कर उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति की है। यह प्रगति देश के प्रमुख राज्यों में सबसे अधिक है। जिस तरह से उद्योग व सेवा क्षेत्र में राज्य ने सबसे अधिक प्रगति की है, उसे देखते हुए सरकार को इस क्षेत्र में अधिक ध्यान देने की जरूरत है। ताकि रोजगार के नए अवसर प्राप्त हों व राज्य की प्रगति का सूचकांक और ऊपर चढ़ सके।

एसोचैम की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि वर्ष 2015-16 में अधिकतर निवेशकों का रुझान मूलभूत ढांचे, निर्माण, रियल एस्टेट, विद्युत सेक्टर में रहा। इन सेक्टर में कुल 97 फीसद निवेश किया गया। वहीं, परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भी राज्य को अग्रणी बताया गया। इस मामले में सिर्फ हरियाणा ही उत्तराखंड से आगे है। पत्रकार वार्ता में उत्तराखंड डेवलपमेंट टास्क फोर्स के अध्यक्ष बाबू लाल जैन भी उपस्थित रहे।

एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004-05 में प्रदेश की जीएसडीपी 22 फीसद थी, जो अब लुढ़ककर नौ फीसद पर आ गई है। सीएजीआर के मामले में भी कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन खराब रहा। वर्ष 2004-05 से 2014-15 के बीच राज्य ने महज तीन फीसद सीएजीआर प्राप्त किया। थोड़ी राहत की बात यह जरूर है कि पिछले साल तक कृषि सेक्टर में विकास की दर 2.5 फीसद ऋणात्मक थी, जो अब कुछ बढ़कर पांच फीसद हुई है। यह बढ़ोत्तरी सिंचाई व्यवस्था में सुधार के चलते हुई है। कृषि सेक्टर में सुधार की इसलिए भी आवश्यकता है कि उत्तराखंड की कुल श्रमशक्ति के 51 फीसद हिस्से में कुल ग्रामीण कामगार 67 फीसद हैं। अधिकतर लोग कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं।

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