बिजली, पानी और सड़क नहीं तो वोट भी नहीं, यहां चुनाव बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

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बिजली, पानी और सड़क नहीं तो वोट भी नहीं, यहां चुनाव बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

सरकारें भले ही विकास के तमाम दावे कर रही हो लेकिन आज के वक्त में भी अगर लोगों को बिजली, सड़क और पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़े तो क्या कहेंगे। उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली विकासखण्ड का अंतिम गांव रुईसाण की कहानी कुछ ऐसी ही है। बिजली, सड़क और पानी जैसे


बिजली, पानी और सड़क नहीं तो वोट भी नहीं, यहां चुनाव बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

सरकारें भले ही विकास के तमाम दावे कर रही हो लेकिन आज के वक्त में भी अगर लोगों को बिजली, सड़क और पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़े तो क्या कहेंगे। उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली विकासखण्ड का अंतिम गांव रुईसाण की कहानी कुछ ऐसी ही है।

बिजली, सड़क और पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं को लेकर लंबे वक्त से अपनी आवाज बुलंद कर रहे इस गांव के लोगों ने का लोकंतत्र पर से ही विश्वास उठ गया है। इसलिए इस गांव के लोगों ने इस बार 15 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है।

बिजली, पानी और सड़क नहीं तो वोट भी नहीं, यहां चुनाव बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि वे लंबे वक्त से अपनी आवाज उठा रहे हैं लेकिन उनकी सुध लेन वाला कोई नहीं है। सड़क ना होने के चलते खतरमनाक रास्ते पर कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। ऐसा ही हाल बिजली का है, गांव में बिजली ना होने के चलते जहां बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते वहीं लोगों का भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पानी के लिए भी लोगों क इसी तरह जूझना पड़ता है।

हालांकि ग्रामीणों के चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बाद स्थानीय प्रशासन की नींद तो टूटी है और वे अपने स्तर पर हर संभव कोशिश करने की बात तो कह रहे हैं लेकिन जिस गांव में आज तक बिजली, पानी और सड़क नहीं पहुंची वहां पर चुनाव से पहले एक महीने में कुछ हो पाएगी इसकी संभावना ना के बराबर है।

 

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