जल संरक्षण जरुरी, 50 साल में 45 प्रतिशत कम हो गया गंगा का पानी: त्रिवेंद्र

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जल संरक्षण जरुरी, 50 साल में 45 प्रतिशत कम हो गया गंगा का पानी: त्रिवेंद्र

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) शनिवार को देहरादून महानगर भाजपा कार्यसमिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पानी भविष्य की चुनौती बन रहा है। गंगा के पानी में पिछले 50 सालों में 45 प्रतिशत की कमी आयी है। रावत ने कहा कि यदि हम 1700 मी.मी. वर्षा जल में से 0.5 प्रतिशत वर्षाजल


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) शनिवार को देहरादून महानगर भाजपा कार्यसमिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पानी भविष्य की चुनौती बन रहा है। गंगा के पानी में पिछले 50 सालों में 45 प्रतिशत की कमी आयी है।

रावत ने कहा कि यदि हम 1700 मी.मी. वर्षा जल में से 0.5 प्रतिशत वर्षाजल भी संरक्षित कर सकें, तो पानी की काफी बचत की जा सकती है। उन्होंने इजराईल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर पानी की बहुत कमी है, उन्होंने वर्षा जल संरक्षण के बल पर पानी की जरूरतों को पूरा किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून की लगभग 70 प्रतिशत आबादी को ग्रेविटी का जल उपलब्ध कराने के लिये सौंग बांध का निर्माण 03 साल की बजाय 01 साल में पूर्ण किया जायेगा। जनवरी में इसका शिलान्यास किया जायेगा। कम समय में इस बांध का कार्य पूर्ण होने पर इसकी लागत 1200 करोड़ रूपये की बजाय 725 करोड़ रूपये आयेगी तथा इससे डेढ़ करोड़ रूपये बिजली बिल की बचत होगी। इसी प्रकार हल्द्वानी के लिये जमरानी बांध से ग्रेविटी का जल उपलब्ध कराया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल की लगभग 936 एकड़ भूमि प्रदेश सरकार को उपलब्ध हो गयी है। 20 हजार करोड़ के बाजार मूल्य वाली इस भूमि में से 200 एकड़ एम्स को दी जायेगी तथा 700 एकड़ में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का कन्वेशन सेन्टर स्थापित किया जायेगा। यह देश का अपने स्तर का पहल कन्वेशन सेंटर होगा। इससे प्रदेश को नई पहचान मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्मोडा की कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण के लिये शिव जी की तपस्थली रूद्रधारी से इस पवित्र कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। 167755 (एक लाख सड़सठ हजार सात सौ पचपन) पौधों का रोपण जन सहभागिता के माध्यम से करने का कीर्तिमान स्थापित हुआ है। इसमें 15 हजार लोगों द्वारा जन सहभागिता निभाई गई है। 23 ड्रोन कैमरों के माध्यम से इसकी फोटोग्राफी की गई। इसी कार्यक्रम के दौरान स्थानीय निवसी कु.शान्ति ने बताया कि आज ही उसका जन्मदिन भी है। इस अवसर पर उनके द्वारा 100 पौधे लगाये गये है। यह इस अभियान के प्रति उनका उत्साह उजागर करता है।

रविवार 22 जुलाई, 2018 को रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण अभियान का शुभारम्भ करेंगे। इस अभियान के तहत 2.50 लाख पौंधो का रोपण किया जायेगा। जिसकी शुरूआत केरवां गांव एवं मोथरोवाला से की जायेगी। इस अभियान को देहरादून के सभी शिक्षण संस्थाओं, स्वंय सेवी संस्थाओं, विभिन्न संस्थानों के साथ ही आम जन सहभागिता के द्वारा संचालित किया जायेगा। रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा के स्वरूप में पुनर्जीवित करने के अभियान की सफलता के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सभी से सक्रिय सहयोग की भी अपेक्षा की है।

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