अपने बच्चे के सोने पर उसे नोंचती है…मारती है ये मां, वजह जानकर आ जाएंगे आंसू !

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अपने बच्चे के सोने पर उसे नोंचती है…मारती है ये मां, वजह जानकर आ जाएंगे आंसू !

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) मैं और पूरा परिवार तो उस वक्त बेहद खुश था, जब यर्थाथ हमारी जिंदगी में आया। हमारी तो पूरी दुनिया ही उसके इर्द-गिर्द सिमट गई थी। मेरे पति प्रवीण तो बस ऑफिस खत्म होने के इंतजार में रहते थे कि कितनी जल्दी बस शाम हो जाए और वो यर्थाथ को अपनी


अपने बच्चे के सोने पर उसे नोंचती है…मारती है ये मां, वजह जानकर आ जाएंगे आंसू !

नई दिल्ली  (उत्तराखंड पोस्ट) मैं और पूरा परिवार तो उस वक्‍त बेहद खुश था, जब यर्थाथ हमारी जिंदगी में आया। हमारी तो पूरी दुनिया ही उसके इर्द-गिर्द सिमट गई थी। मेरे पति प्रवीण तो बस ऑफिस खत्‍म होने के इंतजार में रहते थे कि कितनी जल्‍दी बस शाम हो जाए और वो यर्थाथ को अपनी गोद में लेकर खेल सकें। उसके साथ एक बार फिर बच्‍चे बन सकें। हर माता-पिता की तरह बेटे की हंसी से हंसी और उसके चेहरे पर जरा सी फिक्र से हम बेचैन होने लगे थे।

मगर हमें क्‍या पता था कि एक पल में हमारी किस्‍मत हमसे यूं रूठ जाएगी। एक झटके में हमसे हमारा सब कुछ छिन जाएगा। उस रात जब मैं यर्थाथ को ब्रेस्‍टफीड करा रही थी तो अचानक महसूस हुआ कि नींद में उसकी एक लम्‍हे के लिए सांस रूक गई थी। मैं बौखला गई. बच्‍चे को हिलाया-डुलाया तो मालूम पड़ा कि एक पल उसकी सांस रूक कर वापस आई थी। घबराहट में बुरी तरह चीख पड़ी। प्रवीण….दूसरे कमरे में बैठे प्रवीण भागते हुए आए और हम यर्थाथ को डॉक्‍टर के पास लेकर भागे।

हमने अपने आस-पास के डॉक्‍टर को बच्‍चे को दिखाया। उन्‍हें समझ नहीं आया कि आखिर उसको बीमारी क्‍या है ? इसके बाद हमने एक-एक करके कई डॉक्‍टरों को दिखाया। काफी वक्‍त तक चीजें साफ नहीं हो सकी। इसके बाद चाइल्‍ड स्‍पेशलिस्‍ट ने हमें गंगाराम हॉस्‍पटिल के लिए रेफर कर दिया था।

अपने बच्चे के सोने पर उसे नोंचती है…मारती है ये मां, वजह जानकर आ जाएंगे आंसू !

आनन-फानन में हम बच्‍चे को अस्‍पताल लेकर पहुंचे। यहां दिखाने के बाद डॉक्‍टरों से पता चला कि मेरे बेटे को एक ऐसी अजोबी-गरीब बीमारी है, जिसमे अगर वो गहरी नींद में सो जाएगा तो उसकी जान जा सकती है। ये सुनकर एक पल को मैं तो लड़खड़ा कर गिर ही पड़ी। समझ नहीं आ रहा था कि आखिर डॉक्‍टर ने ये  कह क्‍या दिया? उस वक्‍त पति ने मुझे संभाला। हालांकि वो खुद भी थर-थर कांप रहे थे। उनकी हालत भी मुझसे कम बदतर नहीं थी, फिर भी वो मेरे सामने मजबूत बनने की हर संभव कोशिश कर रहे थे, जिसमे वो नाकाम ही साबित हुए।

डॉक्‍टर ने यर्थाथ की बीमारी को दुनिया की सबसे दुर्लभ बीमारी बताया। उनके मुताबिक यर्थाथ को सेंट्रल हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम है। ये बीमारी दुनिया में ही कुछ लोगों को हुई है। इस मर्ज में ब्रेन का एक हिस्सा हमारी ब्रीदिंग को कंट्रोल करता है। जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से ये पाथ डिस्टर्ब हो जाता है इसलिए सांस को कंट्रोल करने वाला ट्रांसमिशन खराब हो जाता है, ऐसे में जब आप गहरी नींद में जाते हैं तो ब्रेन सांस लेने के लिए ट्रिगर नहीं करता। इसकी वजह से रेस्पिरेटरी फेल्योर हो जाता है। ऐसी स्थिति में कार्बन डाईऑक्साइड बढ़ जाती है और ऑक्सीजन कम होने लगती है, जो कि जानलेवा है।

डॉक्‍टरों ने बताया कि इसका इलाज भी बेहद महंगा है। इसके लिए सर्जरी करनी पड़ेगी। उसकी कीमत 35 लाख रुपये है। ये रकम चुकाना हमारे बस में नहीं था इसलिए बच्‍चे को बचाने का बस एक ही रास्‍ता है। उसे सुलाने के लिए वेंटीलेशन का सहारा लेना पड़ेगा। साथ ही उसे ज्‍यादा गहरी नींद में न सोने दिया जाए। डॉक्‍टर ये सारी बातें हम दोनों को समझा रहे थे। मगर मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। मैं तो बस उस उम्‍मीद में थी कि अभी डॉक्‍टर को दिखाने के बाद  वापस अपने  बेटे यर्थाथ को घर लेकर चली जाऊंगी, मगर अब ऐसा कुछ नहीं होने वाला था।

ये कल्‍पना की जा सकती है कि उस पर मां क्‍या बीतती होगी, जिसको ये पता चले कि उसका बच्‍चा किसी भी पल मर सकता है। उसका कलेजा कैसे फटता होगा? मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था। दिल ये सब बात मानने को तैयार ही नहीं था। मगर उसके बाद मेरे पति और घर वालों ने मुझे समझाया। मैंने भी हालातों को समझा, उसके बाद से तो हम सबकी जिंदगी बदल गई है।

हमारे दिन और रातें हॉस्‍पटिल के आईसीयू में बीतने लगे। मेरा बेटा अब भी एम्‍स में भर्ती है। अब यथार्थ को जिंदा रखने के लिए हमारा पूरा परिवार रात-रात भर जागता है। परिवार के सभी सदस्‍य मसलन पति, सास- ससुर और प्रवीण की बहन सब लोग दो-दो घंटे जागकर यर्थाथ के सोते हुए उसको एक टक देखते रहते हैं कि उसकी नींद गहरी न हो जाए।

उस वक्‍त मुझे बेहद तकलीफ होती है, जब यर्थाथ गहरी नींद में जाता है तो उसे जबरन जगाती हूं,  कहीं उसकी सांस न रूक जाए। अपने ही बच्‍चे को नोंचती हूं, मारती हूं लेकिन क्‍या करूं? मगर हम इन हालातों में भी लड़ रहे हैं। उसकी एक हंसी मुझे हिम्‍मत देती है, जब वो मेरी अंगुलियों को थाम लेता है तो मुझमे सारे जहां की ताकत आ जाती है। मुझमें जोश भरता है, जब मेरा बेटा छह महीने का होकर इतनी तकलीफ से लड़ सकता है तो मैं क्‍यों नहीं?

(ये कहानी दिल्‍ली के भजनपुरा इलाके में रहने वाली मीनाक्षी दत्‍त की। मीनाक्षी के बेटे यर्थाथ को एक ऐसी बीमारी है, अजीबो-गरीब और जानलेवा बीमारी है, जिसमे उनके बेटे की गहरी नींद उसकी जिंदगी के लिए खतरा बन सकती है।)

(साभार- न्यूज 18 हिंदी | Link Story BY Nandini Dubey @News18Hindi

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