Amrish Puri Birth Anniversary: असल जिंदगी में सबके हीरो थे बॉलीवुड के मशहूर विलेन

बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार अमरीश पुरी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्मों के माध्यम से वे आज भी कई किरदारों में जिंदा हैं। आज ही के दिन यानी 22 जून 1932 को अमरीश पुरी का जन्म हुआ था और फैंस उनकी याद में देश के अपने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, कू ऐप पर तमाम पोस्ट साझा कर उनके मशहूर फिल्म किरदारों और डायलॉग्स के माध्यम से उन्हें याद कर रहे हैं।
हर्षवर्धन नामक एक यूजर ने अपनी कू पोस्ट में लिखा, “कहते हैं जितना जरूरी किसी भी फिल्म का हीरो होता है, उतना ही जरूरी होता है उस फिल्म का विलेन। ऐसे ही कुछ विलेन जिन्हें याद किया जाता है, उनमें से एक हैं, अमरीश पुरी जिन्होंने अपने किरदारों से, अभिनय से सबका ही दिल जीता है। आज उनके जन्मदिवस पर उन्हें नमन 🙏।”
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू ऐप पर प्रिया पटेल ने अपनी पोस्ट में लिखा, “अपनी विशिष्ट आवाज और अभिनय शैली के दम पर लोगों के दिलों में विशेष स्थान बनाने वाले अभिनेता स्व. अमरीश पुरी का आज जन्मदिन है। वे आज हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन अपने अभिनय के माध्यम से सदैव सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगे। मिस्टर इंडिया फिल्म में 'मौगेम्बो खुश हुआ' डायलॉग आज भी लोगों की पहली पसंद है।”
Koo Appअपनी विशिष्ट आवाज और अभिनय शैली के दम पर लोगों के दिलों में विशेष स्थान बनाने वाले अभिनेता स्व. अमरीश पुरी का आज जन्मदिन है। वह आज हमारे बीच भले ही नहीं हैं, लेकिन अपने अभिनय के माध्यम से सदैव सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगे। मिस्टर इंडिया फिल्म में ’मोगैंबो खुश हुआ’ डायलॉग आज भी लोगो की पहली पसंद है। - Priya patel (@priya_5LA) 22 June 2022
नैतिक लिखते हैं, “हम अभी-भी अपने दैनिक जीवन में मोगैम्बो खुश हुआ और जा सिमरन जा जैसे संवादों का उपयोग करते हैं। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर बताइए आपको उनके कौन-से डायलॉग पसंद है।”
रोहन भट्ट की मानें तो, “एक ऐसे कलाकार, जो जिस भी किरदार को निभाते, वो किरदार उनकी ही तरह सिनेमा जगत में अमर हो जाता। बचपन से ही मैं उनकी उनकी दमदार आवाज और कड़क अभिनय का फैन रहा हूँ।
हर डायलॉग की अपनी अलग छाप है। मेरे दिमाग मे अक्सर एक डायलॉग बजता रहता है।
"जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िंदगी"
हैप्पी बर्थडे अमरीश सर”
Koo Appएक ऐसे कलाकार जो जिस भी किरदार को निभाते वो किरदार उनकी ही तरह सिनेमा जगत में अमर हो जाता बचपन से ही मैं उनकी उनकी दमदार आवाज और कड़क अभिनय का फैन रहा हूँ। डायलाग बोले हर डायलॉग की अपनी अलग छाप है मेरे दिमाग मे अक्सर एक डायलॉग बजट रहता है। "जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िंदगी" हैप्पी बर्थडे अमरीश सर् - ROHAN BHATT (@rohanbhatt_909) 22 June 2022
जगतीत का मानना है कि मुझे फिल्मों के बारे में ख्याल आता है, तो हीरो से भी पहले मुझे हमेशा अपनी दमदार एक्टिंग के बल पर भारी पड़ते हुए अमरीश पुरी जी याद आते हैं। मैंने पहली फिल्म मुकद्दर का सिकंदर देखी थी और मैं तभी से अमरीश पुरी का फैन हो गया। उसमें एक बड़ा ही फेमस डायलॉग है, नए जूतों की तरह शुरू में नए अफसर भी काटते हैं, जो अमरीश पुरी के अंदाज में बिल्कुल धासु लगता है। आज उनके जन्मदिन पर उनकी जगह बस उनकी यादें हैं।
Koo Appमुझे फिल्मों के बारे में ख्याल आता है तो हीरो से भी पहले मुझे हीरो पे हमेशा अपने दमदार एक्टिंग के बाल पे भारी पड़ते हुए मुझे। अमरीश पुरी जी याद आते है, मैंने पहली फ़िल्म मुकदर का सिकंदर देखा था और मै तभी से अमरीश पुरी का फैन हो गया उसमे एक बड़ा ही फेमस डायलॉग है ,नए जूतों की तरह शुरू में नए अफसर भी काटते हैं। जो अमरीश पुरी के अंदाज में बिल्कुल धाशु लगता हैं ।आज उनके जन्मदिन पे उनके जगह बस उनकी यादें हैं। - जगजीत (@जगजत1122) 22 June 2022
अगर हिंदी फिल्मों के सौ साल से अधिक के सफर को देखा जाए, तो शायद ही अमरीश पुरी से बेहतर विलेन कोई हिंदी फिल्मों में रहा होगा। अमरीश पुरी 70, 80, 90 के दशक में बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायकों में से एक हुआ करते थे। अनिल कपूर-श्रीदेवी स्टारर 'मिस्टर इंडिया' फिल्म का आइकॉनिक डायलॉग 'मौगेम्बो खुश हुआ' आज भी बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर रहता है।
बॉलीवुड के कई आइकॉनिक विलेन के किरदार अमरीश पुरी ने ही निभाए हैं। उन्होंने 1967 से 2005 तक 450 फिल्मों में काम किया। खास बात यह है कि उनकी अधिकतर फिल्में हिट रही हैं। फिल्म मिस्टर इंडिया हो या दिल वाले दुल्हनिया ले जाएँगे, अमरीश पुरी ने एक्टिंग का अलग ही पैमाना सेट किया है। उनकी आवाज का जादू फिल्मों में उनके किरदार में जान डाल देता था।
जब निर्माता ने कहा- "तुम्हारा चेहरा हीरो बनने के लायक नहीं"
ऐसा कहा जाता है कि अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने आए थे, लेकिन किस्मत से विलेन बन गए। अमरीश पुरी ने 30 वर्षों से भी ज्यादा समय तक फिल्मों में काम किया और नकारात्मक भूमिकाओं को इस प्रभावी ढंग से निभाया कि हिंदी फिल्मों में वो बुरे आदमी का पर्याय बन गए।
फिल्म विशेषज्ञों के मुताबिक उनके बड़े भाई मदन पुरी पहले से फिल्मों में थे। लेकिन निर्माताओं ने उनसे कहा कि तुम्हारा चेहरा हीरो की तरह नहीं है। इसके बाद वे काफी निराश हो गए थे। नायक के रूप में अस्वीकार कर दिए जाने के बाद अमरीश पुरी ने थिएटर में अभिनय शुरू कर दिया और वहाँ खूब ख्याति पाई। इसके बाद 1970 में उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया। उनके द्वारा निभाए गए खलनायक के किरदार को खूब प्यार मिला, बस इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और खलनायक के रूप में ही सही, फिल्मों के माध्यम से पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। किरदार से परे आज भी फैंस के दिलों में उनकी जगह हीरो की ही है और हमेशा रहेगी। भविष्य में भी जब भी बात विलेन की होगी, अमरीश पुरी का नाम जरूर याद किया जाएगा, क्योंकि वे अमर हैं और फैंस के दिलों में उनका नाम अमर है।