उत्तराखंड | कोरोना संकट से कैसे निपट रही है तीरथ सरकार, यहां समझिए

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उत्तराखंड | कोरोना संकट से कैसे निपट रही है तीरथ सरकार, यहां समझिए

उत्तराखंड | कोरोना संकट से कैसे निपट रही है तीरथ सरकार, यहां समझिए

हमारे डिस्चार्ज होने वाले पेशेंट्स की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। 90 प्रतिशत कोरोना संक्रमित आइसोलेशन में ही रह कर ठीक हो रहे हैं। आइसोलेशन में रह रहे मरीजों पर भी निरंतर निगरानी रख रहे हैं।  


देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हमें कोविड की ट्रांसमिशन चेन को ब्रेक करने की आवश्यकता है। विभिन्न स्थानों पर कर्फ्यू की अवधि बढ़ा दी गई है। हमारी रणनीति पहले टेस्टिंग, ट्रेसिंग आइसोलेशन, ट्रीटमेंट और वैक्सीनेशन इन पांच चरणों की प्रक्रिया है। कन्टेनमेंट जोन द्वारा हमारी कोशिश यही है कि कोरोना का संक्रमण एक विशेष क्षेत्र में ही रहे, इसका प्रसार न हो।


हमारे डिस्चार्ज होने वाले पेशेंट्स की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। 90 प्रतिशत कोरोना संक्रमित आइसोलेशन में ही रह कर ठीक हो रहे हैं। आइसोलेशन में रह रहे मरीजों पर भी निरंतर निगरानी रख रहे हैं।  
 

104 कंट्रोल रूम पर 1500 से 2 हजार के करीब विभिन्न प्रकार के कॉल आ रहे हैं, जिनमें व्हाट्सएप कॉल भी शामिल हैं और लैंडलाइन कॉल्स भी हैं। साथ ही राज्य सरकार द्वारा एक और सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है कि ई-संजीवनी के माध्यम से लोग कहीं से भी चिकित्सकीय परामर्श ले सकते है।  इससे हमारे दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी लाभ होगा और किसी को अनावश्यक रूप से घर से बाहर नहीं निकलना पड़ेगा। साथ ही लोगों को काफी सहूलियत भी रहेगी।
 

45 वर्ष से ऊपर वालों के टीकाकरण के लिये हमारे अनुरोध पर 2 लाख डोज पहुंच रही है। भारत सरकार द्वारा इस बारे में हमें कन्फर्म किया गया है। इसी के साथ 1 लाख 20 हजार डोज और पहुंचेगी। इस तरह हमारा वैक्सीनेशन कार्यक्रम सतत चल रहा है।
 

गांवों में बाहर से आने वाले होम आइसोलेशन में सही तरीके से रहें, इसकी मानिटरिंग पंचायत राज विभाग द्वारा की जा रही है। प्रधानों को यह जानकारी दी जा रही है कि उनके गांव में कौन से लोग बाहर से आकर ठहरे हैं। युवा कल्याण विभाग को भी इस काम में लगाया गया है। युवक और महिला मंगल दलों का सहयोग भी लिया जा रहा है। प्लाज्मा डोनेशन का भी एप स्टार्ट किया है। हम लगभग 95 हजार लोगों को व्हाट्सएप मैसेज भेज चुके हैं। जिसमें अपील की गई है कि यदि आप कोरोना से स्वस्थ हो चुके हैं तो प्लाज्मा दान कर दूसरों की जान बचाएं। इससे लोग आगे आएंगे और प्लाज्मा डोनेट करेंगे, जिससे कोरोना की रोकथाम में सहायता मिलेगी।

सचिव डॉ पंकज कुमार पाण्डेय ने बताया कि रेमडिसिविर का लगातार डिस्ट्रीब्यूशन जारी है। भारत सरकार ने हमारा कोटा और बढ़ाया है। आज हम 2000 इंजेक्शन रिसीव कर रहे हैं। जिन अस्पतालों से इसकी मांग आती रहेगी, हम वहां भेजते रहेंगे। हम उस व्यक्ति की भी संपूर्ण जानकारी ले रहे हैं, जिसे रेमडिसिविर दिया जा रहा है। हम क्रासचैक कर रहे हैं कि इंजेक्शन सही व्यक्ति तक पहुंच रहा है या नहीं।
 

विशेषज्ञों द्वारा किये गये आंकलन में यह तथ्य सामने आया है कि जिनको लक्षण दिखाई दे रहे हैं और उन्होंने टेस्ट नहीं करवाया है, टेस्ट करवाया तो सही समय पर हॉस्पिटल नहीं आए या उन्होंने समय पर दवाई नहीं ली, जिससे उनका केस गम्भीर हो गया। गम्भीर  होने के बाद वे हॉस्पिटल आ रहे हैं तो आक्सीजन सेचुरेशन 70 प्रतिशत तक या उससे नीचे हो जा रहा है तो  मुश्किल हो रही है।
 

जिसमे भी लक्षण दिख रहे हैं अनुरोध है कि वह कृपया तुरंत दवाई खाना शुरू करे और सैंपल टेस्ट करवाए। समय पर दवाई खाएंगे तो कोरोना गंभीर रूप धारण नहीं करेगा और हम जनता को अन्य परेशानियों से बचा पाएंगे। कुछ जिलों में जहां भी व्यक्ति सैंपल देने जा रहे हैं, हमने वहां दवाई रखवाई  है। व्यक्ति को सैंपल देने के साथ वहीं दवाई मिल जाएगी। जानकारी में आया है कि स्टेरॉइड का अच्छा रोल देखने को मिला है। यह आक्सीजन अचानक कम होने से बचा रहा है।  इसे ध्यान में रखकर हम स्टेरॉइड देना भी शुरू कर रहे हैं।
 

आईजी अमित सिन्हा ने बताया कि 115 स्थानों पर दबिश दी गई, जिसमें चार मुकदमें दायर और 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। एक स्थान पर रेमडिसिविर किसी और के नाम से लेकर किसी और को दी जा रही थी। जिस पर गिरफ्तारी हुई। इसी प्रकार निर्धारित कीमत से अधिक पर आक्सीमीटर बेचने व आरटीपीसीआर टेस्ट करने का मामला भी पकङा गया।

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