उत्तराखंड के इन दो गांवों में 150 साल से नही मनाई गयी होली, जानिए क्या है मान्यता

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उत्तराखंड के इन दो गांवों में 150 साल से नही मनाई गयी होली, जानिए क्या है मान्यता

उत्तराखंड के इन दो गांवों में 150 साल से नही मनाई गयी होली, जानिए क्या है मान्यता

होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार को पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां लंबे समय से होली मनाने का कोई रिवाज नहीं है।


रूद्रप्रयाग (उत्तराखंड पोस्ट) होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार को पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां लंबे समय से होली मनाने का कोई रिवाज नहीं है।

उत्तरखांड के रूद्रप्रयाग जिले में कुरझां और क्विली नाम के दो गांव हैं, जहां करीब 150 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है। यहां के स्थानीय निवासियों की मान्यता है कि इलाके की प्रमुख देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर-शराबा बिल्कुल पसंद नहीं है। इसलिए इन गांवों में लोग होली मनाने से बचते हैं।

बता दें कि रूद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का संगम होता है। श्रद्धालु यहां कोटेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने जरूर आते हैं। ऐसी मान्यताएं हैं कि भस्मासुर नामक राक्षस की नजरों से बचने के लिए भगवान शिव ने यहीं एक चमत्कारी गुफा में खुद को छिपा लिया था।

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