फूलदेई, छम्मा देई, दैंणी द्वार, भर भकार... इसलिए बच्चो के लिए खास होता है फूलदेई त्होहार

  1. Home
  2. Mera Uttarakhand

फूलदेई, छम्मा देई, दैंणी द्वार, भर भकार... इसलिए बच्चो के लिए खास होता है फूलदेई त्होहार

phuldei

15 मार्च को चैत्र मास की संक्रान्ति है, यानि भारतीय कलैंडर का पहला दिन है। आज के दिन फूल देई त्योहार मनाया जाता है। आज का दिन बच्चों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन का बच्चे बड़ी बेसब्री से इंतजार करते है।


 

 देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) 15 मार्च को चैत्र मास की संक्रान्ति है, यानि भारतीय कलैंडर का पहला दिन है। आज के दिन फूल देई त्योहार मनाया जाता है। आज का दिन बच्चों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन का बच्चे बड़ी बेसब्री से इंतजार करते है।

 

सुबह होती ही बच्चे बुराँस, फ्योंली, सरसों, कठफ्योंली, आड़ू, खुबानी, भिटौर, गुलाब आदि के फूलों को तोड़ने अपने घरों से निकल जाते है। इसके बाद वह इउन फूलों को घर लाकर ‘रिंगाल’ से बनी अपनी टोकरी में सजाते हैं।

 

इसके बाद बच्चे घर-घर जाके है और कहते है-

“फूलदेई, छम्मा देई,

दैंणी द्वार, भर भकार,

य देई में हो, खुशी अपार,

जुतक देला, उतुक पाला,

य देई कैं, बारम्बार नमस्कार.

फूलदेई, छम्मा देई.

इन पंक्तियों का अर्थ है, “देहरी के फूल भरपूर और मंगलमयी हो, घर की देहरी क्षमाशील हों और सबकी रक्षा करें, सबके घरों में अन्न का पूर्ण भंडार हो।”

बदले में लोग बच्चों को आशीर्वाद देकर गुड़, चावल, मिठाई और पैसे दक्षिणा के रूप में भेंट करते हैं। शाम को पारम्परिक गढ़वाली-कुमाउँनी पकवान बनाकर आस-पड़ोस में बाँटे जाते हैं। देखा जाए तो फूल संक्रान्ति बच्चों को प्रकृति प्रेम और सामाजिक चिंतन की शिक्षा बचपन से ही देने का एक आध्यात्मिक पर्व है। 

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे