बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

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बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

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 विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल हेतु 20 नवंबर मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न- राशि में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद हो गये।


 

चमोली (उत्तराखंड पोस्ट ) विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल हेतु 20 नवंबर मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न- राशि में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद हो गये।

इस अवसर पर बद्रीविशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा श्री बदरीनाथ मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया था। इससे पूव 5 नवंबर को गंगोत्री और 6 नवंबर को यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद किए गए थे।

कपाट बंद होने के दिन आज सुबह से ही धाम में रौनक थी। सुबह छह बजे भगवान बद्रीनाथ की अभिषेक पूजा की गई।सुबह आठ बजे बाल भोग लगाया गया, दोपहर साढ़े बारह बजे भोग लगाया गया।शाम चार बजे माता लक्ष्मी को बद्रीनाथ गर्भगृह में स्थापित कर गर्भगृह से गरुड़जी, उद्धव जी और कुबेर जी को बदरीश पंचायत से बाहर निकालकर सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम 6:45 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए।

बद्रीनाथ में शुक्रवार 19 नवंबर को 2768 तीर्थयात्रियों ने बद्री विशाल के दर्शन किए। इस बार के सीजन में सितंबर 18 तारीख से शुरू हुई चारधाम यात्रा के बाद 1 लाख 91 हजार 106 श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम में मत्था टेक चुके हैं।

पंच पूजाओं के साथ शुरू हुई कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतिम दिन भगवान नारायण की विशेष पूजा-अर्चना की गई।

मुख्य पुजारी रावल जी, मंदिर समिति के सदस्यों एवं सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में भगवान बद्री विशाल जी के कपाट इस वर्ष शीतकाल के लिए बंद किए गए। कपाट बंद होते समय आर्मी के मधुर बैंड ध्वनि ने सबको भावुक कर दिया। कपाट बंद होने से पूर्व भगवान को घृत कंबल पहनाया गया।

इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान के कपाट बंद होने की प्रक्रिया देखी। पूरी बद्रीनाथपुरी जय बद्री विशाल के उद्घोष के साथ गूंज उठी। मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी नम्बूदरी ने इस वर्ष की अंतिम पूजा की। कपाट बंद होने का माहौल अत्यंत धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं के साथ हुआ। कपाट बंद होने के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरे भाव भक्ति से भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए।

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