…इस डर से बदरीनाथ तक हैलिकॉप्टर से नहीं जाएंगे अमित शाह !

अपनी मुराद पूरी करने के लिए भगवान के दर पर सब हाजिरी लगाते हैं। फिर चाहे वे राजनेता क्यों ना हो। लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि भगवान के दर पर हाजिरी लगाने से नेताओं के हाथ से सत्ता चली गई। बदरीनाथ धाम के बारे में एक ऐसी ही धारणा प्रचलित है कि कोई
 

अपनी मुराद पूरी करने के लिए भगवान के दर पर सब हाजिरी लगाते हैं। फिर चाहे वे राजनेता क्यों ना हो। लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि भगवान के दर पर हाजिरी लगाने से नेताओं के हाथ से सत्ता चली गई। बदरीनाथ धाम के बारे में एक ऐसी ही धारणा प्रचलित है कि कोई नेता अगर यहां पर हैलिकॉप्टर से आता है तो उसके हाथ से सत्ता चली जाती है। शायद यही वजह है कि 25 जून को बदरीनाथ धाम में दर्शन के लिए आ रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी बदरीनाथ भगवान के दर पर हैलिकॉप्टर की बजाए कार से आने का फैसला लिया है।

अमित शाह 25 जून को जब बदरीनाथ आएंगे तो वे लामबगड़ तक तो हेलीकॉप्टर से जाएंगे, लेकिन उसके बाद कार से बदरीनाथ तक का सफर तय करेंगे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी कहा कि भगवान बदरीनाथ के ऊपर से जाने की मान्यता को अशुभ माना जाता है। इसी परंपरा का पालन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी करेंगे। इसीलिए वे बदरीनाथ के दर्शन के लिए सड़क मार्ग से जाएंगे।

इनके हाथ से निकली सत्ता | बदरीनाथ धाम के बारे में प्रचलित ये धारणा इसलिए भी प्रबल हो जाती है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि हेलीकॉप्टर लेकर बदरीनाथ तक पहुंची पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पूर्व सीएम एनडी तिवारी, बीर बहादुर सिंह, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता गंवानी पड़ी थी। यूपी के पूर्व राज्यपाल सूरजभान, मोतीलाल बोरा व रोमेश भंडारी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था। इसके बाद से ही ज्यादातर वीआईपी इस मान्यता के चलते बदरीनाथ मंदिर से दो किमी पहले लामबगड़ में बने हेलीपैड पर उतरते हैं और वहां से कार से मंदिर तक पहुंचते हैं।