उत्तराखंड | सात साल बाद कैसे पकड़ में आया दरोगा भर्ती में हुआ घोटाला? जानिए यहां 

उत्तराखंड में साल साल बाद दरोगा भर्ती में बड़े घोटाले की बात सामने आयी है। दरअसल, उत्तराखंड में साल 2015-16 में हुए दारोगा भर्ती हुई थी जिसमें 7 साल बाद घोटाले की बात सामने आई है। मामले में एक्शन लेते हुए उत्तराखंड पुलिस के 20 दारोगाओं को सस्पेंड कर दिया गया है।
 

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देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में साल साल बाद दरोगा भर्ती में बड़े घोटाले की बात सामने आयी है। दरअसल, उत्तराखंड में साल 2015-16 में हुए दारोगा भर्ती हुई थी जिसमें 7 साल बाद घोटाले की बात सामने आई है। मामले में एक्शन लेते हुए उत्तराखंड पुलिस के 20 दारोगाओं को सस्पेंड कर दिया गया है।

दरअसल, UKSSSC परीक्षा में भर्ती घोटाले के खुलासे के दौरान यह बात सामने आई थी कि 2015—16 में हुई दरोगा भर्ती में भी व्यापक स्तर पर धांधली हुई है। 339 पदों के लिए 2015 में जारी विज्ञप्ति के बाद 17, 606 अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था जिसकी परीक्षा पंतनगर विश्वविघालय द्वारा आयोजित कराई गई थी। इस परीक्षा में 229 पुरुष तथा 101 महिला अभ्यर्थियों का अंतिम चयन किया गया था। जिनकी ट्रेनिंग मेरठ और मुरादाबाद पीटीसी में कराई गई थी।

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दारोगा भर्ती पर सवाल खड़े हुए तो सरकार द्वारा डीजीपी अशोक कुमार की पहल पर प्रशासन द्वारा इस मामले की जांच विजिलेंस से कराने का फैसला किया गया। विजिलेंस जांच में पता चला कि ओएमआर सीट में छेड़छाड़ कर कुछ अभ्यर्थियों को अवैध तरीके से लाभ दिया गया है। विजिलेंस जांच में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि दरोगा भर्ती में व्यापक स्तर पर धांधली की गई जिसके जरिए 30 से 35 दरोगा भर्ती होने में सफल रहे हैं।

अब विजिलेंस की रडार पर 40 से 75 दारोगा हैं, जो परीक्षा में धांधली कर 2015-16 में दारोगा बने थे। इनमें से 20 दारोगा को आज सस्पेंड कर दिया गया है। पुलिस मुख्यालय से आज यह आदेश किए गये हैं। विजिलेंस की प्राथमिक जांच में पाया गया कि ये 20 दारोगा रुपये देकर भर्ती हुए थे। आरोपी दरोगा तब तक सस्पेंड रहेंगे जब तक उनका केस फाइनल नहीं होता है। यहां यह भी बता दें कि यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले के सरगना हाकम सिंह के साथ 2 दरोगाओं के फोटो भी वायरल हुए थे। जिन्हें लेकर सवाल उठ रहे थे कि अन्य परीक्षा की तरह 2015 की दरोगा भर्ती में भी धांधली हुई है।

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इसके बाद हाकम सिंह गैंग में पंतनगर विवि का जो कर्मचारी दिनेश चंद्र पकड़ा गया, उसने ही सात साल के बाद दरोगा भर्ती में हुए घोटाले को सामने ला दिया। उसने जो नाम बताए, उन तक एसटीएफ पहुंची, जिसके बाद 15 नए आरोपियों की लिस्ट तैयार हुई। चूंकि यह मामला पुलिस विभाग से जुड़ा था और एसटीएफ भी इसी पुलिस का हिस्सा है। लिहाजा, सरकार ने मामले की और गंभीरता से जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस को सौंप दी। विजिलेंस ने मामले को परवान तक चढ़ाया और हाल ही में मामले में 20 दरोगा निलंबित हो गए हैं। विजिलेंस अब 2015 की सीधी भर्ती से नौकरी पाने वाले दरोगाओं की हर हरकत पर नजर बनाए हुए है। उनकी प्रॉपर्टी से लेकर उनके चाल ढाल को भी खंगाला जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही विजिलेंस कुछ और दरोगों को बेनकाब कर देगी।

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