उत्तराखंड | अफसरों ने PM का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया, PMO को नहीं थी जानकारी, गिरी गाज़

उत्तराखंड के रामनगर स्थित विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तहत पाखरों रेंज में जिस टाइगर सफारी के निर्माण को वन विभाग के कुछ आला अफसरों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जा रहा था, दरअसल उसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को थी ही नहीं।

 

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रामनगर (उत्तराखंड पोस्ट) कार्बेट नेशनल पार्क में हुए निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ी की पुष्टि के बाद शासन ने पूर्व मुख्य वन्य जन्तु प्रतिपालक जे एस सुहाग ,डीएफओ किशन चंद्र को निलंबित कर दिया। जबकि कार्बेट के निदेशक राहुल को मौजूदा पद से हटाते हुए प्रमुख वन सरंक्षक कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया है। प्रमुख सचिव आर के सुधांशु की ओर से बुधवार को यह आदेश किये गए।

उत्तराखंड के रामनगर स्थित विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तहत पाखरों रेंज में जिस टाइगर सफारी के निर्माण को वन विभाग के कुछ आला अफसरों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जा रहा था, दरअसल उसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को थी ही नहीं।

पीएमओ ने इस संबंध में उत्तराखंड शासन या वन विभाग को कभी कोई दिशा-निर्देश भी जारी नहीं किए थे। शासन स्तर से लेकर वन मुख्यालय स्तर तक कहीं कोई ऐसा आदेश या गाइडलाइन प्राप्त नहीं हुई, जिसमें पीएमओ के स्तर से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरों रेंज में टाइगर सफारी के निर्माण का कोई आदेश हो।

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जब टाइगर सफाई का काम शुरू हुआ था, तात्कालीन पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने इस संबंध में कॉर्बेट निदेशक से पीएमओ के ड्रीम प्रोजेक्ट संबंधी किसी पत्र के बारे जानकारी मांगी थी, लेकिन कॉर्बेट निदेशक ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाए थे।

अब जब यह बात साफ हो गई है कि पीएम मोदी का नाम इस्तेमाल करके टाइगर सफारी के नाम पर पेड़ काटने से लेकर अवैध निर्माण और तमाम अनियमितताएं की गईं तो इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में दूसरे अधिकारी भी नप सकते हैं। बताया जा रहा है कि पीएमओ पहले ही इस मामले का संज्ञान ले चुका है कि किसके स्तर से पीएम मोदी का नाम इस प्रोजेक्ट में डाला गया।

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आपको बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क के तहत कंडी रोड निर्माण, मोरघट्टी और पाखरों वन विश्राम गृह परिसर में भवनों का निर्माण, पाखरों वन विश्राम गृह के समीप जलाशय का निर्माण किया गया था। इसके अलावा पाखरों में प्रस्तावित टाइगर सफारी में वृक्षों के अवैध पातन किया था। जिस पर एनटीसीए के जांच दल ने कार्रवाई की आख्या प्रस्तुत की थी। टाइगर सफारी निर्माण के लिए मात्र 163 पेड़ काटे जाने थे, लेकिन अनुमति से कहीं अधिक पेड़ काट दिए गए।

इसके अलावा कंडी रोड का निर्माण, मोरघट्टी और पाखरो वन विश्राम गृह परिसर में भवनों का निर्माण, जलाशय का निर्माण, टाइगर सफारी, वृक्षों का पातन के संबंध में वैज्ञानिक, प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति तक नहीं ली गई। यहां कंक्रीट का ढांचा खड़ा किया गया, जो अवैध था। हालांकि बाद में इस गिरा दिया गया था। पाखरो से कालागढ़ पेट्रोलिंग रोड के आसपास के क्षेत्र से बड़ी मात्रा में मिट्टी हटाई गई, जो भारतीय वन अधिनियम 1927 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्राविधानों के विरूद्ध है। इस दौरान जेएस सुहाग को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक का कार्यभार अतिरिक्त रूप में आवंटित था।

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प्रमुख सचिव वन रमेश कुमार कुमार सुधांशु की ओर से जारी निलंबन आदेश में साफ कहा गया है कि निलंबित किए गए वन अधिकारी वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की रक्षा करने के अपने कर्तव्यों में विफल रहे हैं। इसके अलावा वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास के विनाश किए जाने संबंधी तथ्यों को जानबूझकर राज्य सरकार से छिपाया गया, जो उनकी सत्यनिष्ठा को संदेहास्पद बनाता है।

आपको बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत के कार्यकाल में कार्बेट में नियमों के विपरीत निर्माण कार्य हुए थे। इस दौरान पेड़ों का अवैध कटान भी किया गया था। इस मामले की NTCA के जांच दल ने स्थलीय निरीक्षण कर गड़बड़ी पकड़ी थी।