CM धामी ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख सहायता राशि देने की घोषणा की, नायब तहसीलदार निलंबित 

उत्तराखंड में बृहस्पविार को देहरादून में त्यूनी में लकड़ी के चार मंजिला घर में आग लग गई, जिसमें चार मासूम जिंदा जल गए। हादसा रसोई गैस सिलिंडर बदलते समय हुआ। चार सिलिंडर एक के बाद एक धमाके साथ फटे तो पूरा क्षेत्र दहल गया।
 

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देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड में बृहस्पविार को देहरादून में त्यूनी में लकड़ी के चार मंजिला घर में आग लग गई, जिसमें चार मासूम जिंदा जल गए। हादसा रसोई गैस सिलिंडर बदलते समय हुआ। चार सिलिंडर एक के बाद एक धमाके साथ फटे तो पूरा क्षेत्र दहल गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा त्यूनी अग्निकांड के मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख सहायता राशि देने की घोषणा की गई है। वहीं दूसरी तरफ जिलाधिकारी द्वारा राहत बचाव कार्यों में लापरवाही पर नायब तहसीलदार को निलंबित ककर दिया गया है। इसके अलावा अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को लाइन हाजिर किया गया है। शुक्रवार सुबह जिलाधिकारी सोनिका ने मृतकों के परिजनों से मिलकर उनको ढांढस  बंधाया। जिलाधिकारी की निगरानी में मृतक बालिकाओं के शव को खोजने के लिए एसडीआरएफ एवं अन्य टीमों द्वारा रेस्क्यू जारी कराया।

वहीं शुक्रवार को सरकारी तंत्र और तहसील स्तर पर आपदा प्रबंधन के इंतजाम अपर्याप्त होने से नाराज पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह क्षेत्र के सैकड़ों लोगों के साथ त्यूणी-चकराता हाईवे पर गेट बाजार त्यूणी के तिराए में सड़क पर धरने में बैठ गए। वहीं भीषण अग्निकांड की घटना से आक्रोशित क्षेत्रवासियों के साथ धरने पर बैठे पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह से वार्ता करने जिलाधिकारी सोनिका और डीआईजी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिलीप कुंवर धरना स्थल पर पहुंचे। डीआईजी और डीएम ने विधायक व आक्रोशित ग्रामीणों को किसी तरह समझा-बुझाकर शांत कराया। जिला प्रशासन ने मामले में लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों व पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने का आश्वासन दिया। आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन पर आपदा के समय लापरवाही व उदासीनता बरतने का आरोप लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन कर नारेबाजी की। तंत्र की हीला-हवाली से आक्रोशित ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मकान में लगी आग की सूचना के काफी देर बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ी बिना तैयारी के मौके पर पहुंची। अग्निशमन दल में तैनात पुलिसकर्मी नशे की हालत में थे और फायर ब्रिगेड के वाहन में पानी कम था। अगर अग्निशमन दल के कर्मी सही हालत में होते और पुलिस-प्रशासन मुस्तैद रहता तो घटनास्थल 80 मीटर की दूरी पर टोंस नदी से आग बुझाने को मोटर से पानी खींचा जा सकता था।

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