“खनन और शराब माफियाओं से हैं भाजपा नेताओं के रिश्ते”

भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के आरोपों पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है। कुमार ने कहा कि भाजपा भूल गई है कि दलित महिला से बलात्कार का आरोप सिद्ध होने के कारण अदालत ने उनके नेता को सजा सुनाई है, और वह देहरादून जेल में
 

भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के आरोपों पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है। कुमार ने कहा कि भाजपा भूल गई है कि दलित महिला से बलात्कार का आरोप सिद्ध होने के कारण अदालत ने उनके नेता को सजा सुनाई है, और वह देहरादून जेल में बंद है। उन्होंने कहा कि भाजपा से खनन माफिया व शराब माफिया से रिश्ते जगजाहिर है। लोग जानते है जो नामधारी भाजपा का राज्य मंत्री रहा है, वह भी तिहाड जेल में हत्याओं के आरोप में बंद है। ऐसे समय में जब पूरे प्रदेश में उत्साह का वातावरण है। प्रति व्यक्ति आय एक लाख 54 हजार से अधिक हो, हमारी कृषि  विकास दर, औद्योगिक व सेवा क्षेत्र तेजी से विकास कर रहे हो, ऐसे में भाजपा नेता का विलाप करना अपनी केन्द्र सरकार की असफलताओं व अपनी अंर्तविरोध से जनता का ध्यान हटाना है।

कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में राज्य सरकार के प्रयासों से खेती, बागवानी, पशुपालन में लोगों की रूचि फिर से बढ़ने लगी है। सेवा क्षेत्र में हमारी विकास दर बताती है कि आपदा के बाद पर्यटन के क्षेत्र में हमारी नीतियां सफल हो रही हैं। इससे भाजपा को कुछ समझ नहीं आ रहा है और राज्य सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। भाजपा ने अपनी सरकार के समय शराब व्यवसाय निजी संस्था को सौंप रखा था, जबकि हमने यह काम निजी संस्था से लेकर सरकारी संस्था को दिया है। हमने राजस्व व आय के कई नये क्षेत्र बिना जनता पर दबाव डाले विकसित किये है। पिछले वर्ष की तुलना में आबकारी में राजस्व प्राप्ति अधिक रही है।

मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी ने कहा कि कांग्रेस, भाजपा की तरह पृथक विचारों को दबाने में विश्वास नहीं रखती है।हम भी चाहते हैं कि राज्य में सशक्त विपक्ष हो, जो विकास योजनाओं में कमियों को दिखाते हुए वैकल्पिक योजनाएं व नीतियां सरकार को सुझाए। इसीलिए बजट से पहले मुख्यमंत्री रावत ने प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के लोगों को आमंत्रित कर उनसे सुझाव लिए थे। परंतु भाजपा केवल अनर्गल आरोप लगाने में ही विश्वास करती है। यदि उन्हें राज्य सरकार की नीतियों से कोई असहमति है तो वैकल्पिक नीतियां भी तो बताएं। सिर्फ विरोध के लिए विरोध कहां तक ठीक है।