उत्तराखंड | 22 अगस्त से आंदोलन करेंगे निगम कर्मचारी, सरकार पर लगाए ये आरोप, ये हैं प्रमुख मांगे
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने बुधवार को अपने अगले चरण के आंदोलन का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मांगों के लटकाए जाने से उपक्रमों और निगमों में तैनात कर्मचारियों का धैर्य टूट रहा है और वे आंदोलन को मजबूर हो रहे हैं।
महासंघ ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो 22 अगस्त को राज्य सचिवालय पर धरना-प्रदर्शन होगा। इसी दिन वे आगे की रणनीति तय कर आंदोलन का कार्यक्रम घोषित करेंगे। महासंघ ने शासन के अधिकारियों पर निगम कर्मचारियों के लंबित मसलों को लटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कर्मचारी हित से जुड़े मसलों को निगमों की आर्थिक स्थित से जोड़कर देखा जा रहा है। लेकिन निगम सार्वजनिक हित के लिए काम कर रहे हैं और उन्हें कल्याणकारी योजनाओं के सापेक्ष पर्याप्त धनराशि नहीं दी जा रही है। परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा का करोड़ों रुपये सरकार पर बकाया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की बैठक में तय हुआ था कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ सार्वजनिक निगमों के कर्मचारियों को राज्य कर्मचारियों की भांति दिया जाएगा। लेकिन ये सार्वजनिक उद्यम विभाग आयोग की सिफारिशों के तहत तय लाभ देने में हीलाहवाली कर रहा है।
उन्होंने दूसरे चरण के आंदोलन की घोषणा की। कहा कि दूसरे चरण में मंत्रियों, विधायकों व जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिए जाएंगे और उनसे सहयोग की अपील की जाएगी।
महासंघ की प्रमुख मांगें– राज्य कर्मियों की तर्ज पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ मिले, निगमों में खाली पदों पर शीघ्र भर्ती की जाए, आउटसोर्स, उपनल, विशेष श्रेणी, दैनिक वेतन व संविदा कर्मी पक्के हों, नियमित किए जाने तक उन्हें 21 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाए, एमएसीपी में उत्तम, अति उत्तम की बाध्यता हटाई जाए, परिवहन व पेयजल निगम समेत सभी निगमों में समय पर वेतन व पेंशन दी जाए, परिवहन निगम में प्रबंध निदेशक के पद पर आयुक्त परिवहन को दिया जाए, दोनों निगमों में स्वीकृत एसीपी में किसी भी तरह की कटौती न की जाए।
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