धामी के फैसले पर बोले हरदा- जहां आपके पिताजी पैदा हुए वहां इसका क्या असर पड़ेगा ? 

पूर्व सीएम ने आगे कहा हां, यदि पुराने इस तरीके के सारे अतिक्रमणों को विधि सम्मत तरीके से नियमित करने का निर्णय लेते हैं तो आगे के लिए अतिक्रमणकारियों के लिए कठोर सजा का प्राविधान उचित होगा। अतः मुझे घोर आंख बंद करके विरोध करने वाला न समझा जाए। मैं सोच-विचार कर ही बिन्दुओं को उठाता हूं।
 
  <a href=https://youtube.com/embed/NE8L6bIe2Cc?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/NE8L6bIe2Cc/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड की धामी सरकार के अतिक्रमणकारियों को सजा के फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। हरदा ने कहा कि मैं केवल माननीय मुख्यमंत्री जी को यह स्मरण करवाना चाहता हूं कि उनके ड्रीम डिस्ट्रिक्ट चंपावत (लोहाघाट) में उनके इस फैसले का क्या असर पड़ेगा ? और जहां उनके पिताजी पैदा हुए उस डीडीहाट क्षेत्र में इसका क्या असर पड़ेगा ? जरा उसका आकलन कर लें।

पूर्व सीएम ने आगे कहा हां, यदि पुराने इस तरीके के सारे अतिक्रमणों को विधि सम्मत तरीके से नियमित करने का निर्णय लेते हैं तो आगे के लिए अतिक्रमणकारियों के लिए कठोर सजा का प्राविधान उचित होगा। अतः मुझे घोर आंख बंद करके विरोध करने वाला न समझा जाए। मैं सोच-विचार कर ही बिन्दुओं को उठाता हूं।

<a href=https://youtube.com/embed/lKGudpRVuIg?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/lKGudpRVuIg/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

आपको बता दें कि इससे पहले हरदा ने इस पर कहा ता कि अभी एक बड़ी खबर पढ़ी, सरकारी भूमि पर कब्जा तो 10 साल की सजा! देखने में सख्त और निष्पक्ष फैसला, परंतु परिणाम घातक!

हरीश रावत ने कहा कि राज्य के लाखों दलितों, जनजातियों, किसान वर्ग के लोगों पर अवैध कब्जे की तलवार लटका दी। उत्तर प्रदेश के एक कानून के तहत नाप खेत की मेड़ (भिड़ा) भी भारत सरकार की भूमि है। राज्य के हजारों नजूल भूमिधरों, खाम भूमि पर बसे लोगों को हमने मालिकाना हक दिया, उन पर भी 300 वर्ग मीटर की तलवार लटका दी। 2015-16 में सरकारी भूमि के लगभग दो लाख कब्जेदारों को तत्कालीन सरकार ने नियमित किया था इसका कहीं उल्लेख नहीं है !

<a href=https://youtube.com/embed/gKz7ZjlowW0?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/gKz7ZjlowW0/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

हरीश रावत ने कहा कि मंत्रिमंडल ने बिना उत्तराखंड की भूमि के वर्गीकरण को समझे यह खतरनाक निर्णय लिया है। हजारों ऐसे लोग हैं जो वर्षों पहले भूमि पर अपने भव्य मकान आदि बना चुके हैं, उन पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। पहले हरी ग्राम, गांधी ग्राम, वन ग्रामों, टोंगिया गांव, गोट, खत्तों, नदी-नालों में बसे गरीब, मलिन बस्तियों की स्थिति सरकार स्पष्ट करे तभी इस निर्णय को प्रभावी किया जाए।

यह जल्दी में लिया गया निर्णय है, बिना सोचे-समझे लिया गया निर्णय है और उत्तराखंड विरोधी निर्णय है। अवैध कब्जेदरों को चिन्हित करने से पहले उपरोक्त वर्गों को कानूनी संरक्षण दीजिए तभी इस निर्णय को लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए। मैं बुलंदशहर एक आम पार्टी में सम्मिलित होने के लिए जा रहा हूं, आकर मुख्यमंत्री जी से इस विषय में बात भी करूंगा।