हरदा का धामी सरकार पर वार- मैं कांग्रेसी हूं... लायक नहीं हो सकता है लेकिन
हरदा ने आगे कहा- जंगलों में जगह-जगह बिखरे हुए ट्रेंचेज, जंगल की धाराओं में बधे हुये छोटे-छोटे पोखड़े, ढाल और गहराई वाले जगह में बने हुए खाल, आज भी जंगली पशुओं, पक्षियों के साथ-साथ बढ़ती हुई अम्लीयता से लड़ रहे हैं। लेकिन हमारे बाद आने वाली सरकारों ने इन सारी पहलों पर काम करना बंद कर दिया है और भी दर्जनों पहलें, मैंने उन पहलों का जिक्र अपनी पुस्तक "उत्तराखंडियत" में किया है, फेसबुक में भी मेरा इस विषय में एक लेख देखा जा सकता है।
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड के पहाड़ों में धधक रही आग को लेकर राज्य की धामी सरकार पर तीखा प्रहार किया है। हरीश रावत ने कहा कि उनके कार्यकाल में वनों और वन्य जीवों को बचाने के लिए जो पहलें की गई, उन्हें वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया।
हरीश रावत इस संबंध में अपने फेसबुक पेज पर लिखते हैं- पहाड़ के सूखती हुई धाराओं का पानी, झुलसते हुये काफल, हिंसालू, किंगोड़े की झाड़ियां मुझे पुकार रही हैं, कह रही हैं कि हम आग से जल रहे हैं, तुम हमारी खबर लेने भी नहीं आ रहे हो। उत्तराखंड के जंगलों की हाइड्रोजनिटी धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं। अम्लियता, एसिडिटी उसका स्थान ले रही है, इसका परिणाम अनियंत्रित आग है। जैव विविधता समाप्त हो रही है, जंगलों में आद्रता को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने सामान्य ज्ञान पर आधारित कई कदम उठाए हैं।
हरदा ने आगे कहा- जंगलों में जगह-जगह बिखरे हुए ट्रेंचेज, जंगल की धाराओं में बधे हुये छोटे-छोटे पोखड़े, ढाल और गहराई वाले जगह में बने हुए खाल, आज भी जंगली पशुओं, पक्षियों के साथ-साथ बढ़ती हुई अम्लीयता से लड़ रहे हैं। लेकिन हमारे बाद आने वाली सरकारों ने इन सारी पहलों पर काम करना बंद कर दिया है और भी दर्जनों पहलें, मैंने उन पहलों का जिक्र अपनी पुस्तक "उत्तराखंडियत" में किया है, फेसबुक में भी मेरा इस विषय में एक लेख देखा जा सकता है।
हरीश रावत ने आखिर में कहा कि ये सारी पहलें जो हमने प्रारंभ की, उनको प्रारंभ करने वाले वरिष्ठ वन अधिकारी आज भी उत्तराखंड में हैं, उनसे राय-परामर्श किया जा सकता है। मैं कांग्रेसी हूं मेरा लेख पढ़ने लायक नहीं हो सकता है, लेकिन धरती पर उनके द्वारा उतारे गए आलेख तो पढ़ने और समझने लायक होंगे।