समान नागरिक संहिता पर हरीश रावत का बड़ा बयान, बोले- UCC का मतलब है कि जो सारे देश में लागू हो...

हरीश रावत ने कहा कि पहले तो ड्राफ्ट देखना पड़ेगा क्योंकि इन्होंने ड्राफ्ट अभी जारी ही नहीं किया। यूसीसी का मतलब है कि जो सारे देश में लागू हो। जो पारित हो रहा है उसका क्या अर्थ है जो हमारे विधानसभा के सीमाओं के बाहर लागू ही नहीं होगा।
 
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ऋषिकेश (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड की धामी सरकार जहां आगामी विधानसभा सत्र में राज्य में समान नागरित संहिता लागू करने की तैयारी में है तो वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत ने इस पर बड़ा बयान दिया है।

हरीश रावत ने कहा कि पहले तो ड्राफ्ट देखना पड़ेगा क्योंकि इन्होंने ड्राफ्ट अभी जारी ही नहीं किया। यूसीसी का मतलब है कि जो सारे देश में लागू हो। जो पारित हो रहा है उसका क्या अर्थ है जो हमारे विधानसभा के सीमाओं के बाहर लागू ही नहीं होगा। इसे केंद्र सरकार को बनाना चाहिए। हरदा ने साथ ही कहा कि ये केवल चुनावी प्रचार है जिसके लिए राज्य का पैसा बर्बाद कराया गया है।

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6 फरवरी को विधानसभा मे पेश होगा बिल- समान नागरिक संहिता पर मंगलवार को उत्तराखंड सरकार में मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा- हमें उम्मीद है कि UCC कमेटी 2 फरवरी को अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद 6 फरवरी को UCC बिल राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा।

समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध- धामी

आपको बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 'एक भारत,श्रेष्ठ भारत' के विजन और चुनाव से पूर्व उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प एवं उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हमारी सरकार प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने हेतु सदैव प्रतिबद्ध रही है।

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धामी ने आगे कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए बनी कमेटी 2 फरवरी को अपना ड्राफ्ट प्रदेश सरकार को सौंपेगी और हम आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक लाकर समान नागरिक संहिता को प्रदेश में लागू करेंगे। बीते दिनों जानकारी आई थी कि जस्टिस रंजना प्रकाश की अध्यक्षता में बनी यूसीसी ड्राफ्टिंग कमेटी 2 फरवरी को अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को जमा कर सकती है, इसके बाद सीएम पुष्कर सिंह ने अपनी अयोध्या यात्रा को रद्द कर दिया था।

ड्राफ्ट में है इन कानूनों का जिक्र-

बताया जा रहा है कि इस ड्राफ्ट में एक ऐसे कानून को बनाने की बात है जो विवाह, तलाक, माता-पिता का भरण-पोषण, संपत्ति, बच्चा गोद लेने, जाति, जेंडर और संपत्ति में महिलाओं का अधिकार से संबंधित मामलों में सभी धर्मों पर एक समान कानून लागू होगा। साथ ही ड्राफ्ट में यह भी ज्रिक है कि लिव-इन रिलेशनशिप को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा।