अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों...शहीदों की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

बलिदानी विनोद सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही घर पर पहुंचा, परिजन खुद को संभाल नहीं पाए और बिलख बिलख कर रो पड़े। शहीद विनोद सिंह को अंतिम विदाई देने जन सैलाब उमड़ पड़ा

 
 

देहरादून/ टिहरी/ पौड़ी (उत्तराखंड पोस्ट) जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए आतंकी हमले में उत्तराखंड के पांच जांबाज शहीद हो गए। आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए टिहरी के अठुरवाला भनियावाला निवासी 33 वर्षीय विनोद भंडारी का पार्थिव शरीर बुधवार को उनके घर पहुंचा।

बलिदानी विनोद सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही घर पर पहुंचा, परिजन खुद को संभाल नहीं पाए और बिलख बिलख कर रो पड़े। शहीद विनोद सिंह को अंतिम विदाई देने जन सैलाब उमड़ पड़ा।

नायक विनोद सिंह के पिता बीर सिंह भंडारी ने कहा कि वह खुद भी फौज में रहे हैं। उन्हें फक्र है कि उनका बेटा देश के काम आया है, लेकिन बेटे के छोटे बच्चों को देखकर वो खुद पर काबू नहीं रख पा रहे हैं। शहीद की बहनों ने अपने पिता बीर सिंह भंडारी से कहा कि रोना नहीं हैं। तिरंगे में लिपटा उनका भाई जिस तरह घर आया है। ऐसी शहादत हर किसी को नहीं मिलती।

आंखों से आंसू बहते रहे और बहनें भारत माता की जयकारे लगाते रहीं। बहनों ने अपने भाई के पार्थिव शरीर को कांधा भी दिया। बलिदानी विनोद भंडारी की पूर्णानंद घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई।

शहीद विनोद भंडारी की अंतिम विदाई

वहीं आज डोईवाला के 29 वर्षीय विनोद सिंह भंडारी (पुत्र वीर सिंह भंडारी) को उनके अठुरवाला पैतृक आवास से अंतिम विदाई दी गई। जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचा लोगों की भीड़ जुट गई और शहीद के परिवार के लोग विलाप करने लगे। इस दौरान पत्नी बेसुध हो गई, जिसे लोगों ने किसी तरह ढांढस बंधाया। इस दौरान 'जब तक सूरज चांद रहेगा विनोद तेरा नाम रहेगा' के नारों से क्षेत्र गूंज उठा।

भानियावाला निवासी विनोद सिंह का पार्थिव शरीर सैन्य सम्मान के साथ मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद घाट पर लाया गया। यहां गमगीन माहौल में शहीद विनोद सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। चचेरे भाई पंकज भंडारी ने विनोद सिंह को मुखाग्नि दी। मौके पर गढ़वाल राइफल की तीन यूनिट सैन्य सम्मान से अंतिम विदाई दी।

केवल 29 साल की उम्र में देश सेवा करते हुए शहादत देने वाले विनोद सिंह भंडारी के दो बच्चे हैं, जिनमें एक तीन महीने की बेटी और एक चार साल का बेटा है। विनोद सिंह भंडारी तीन बहनों में इकलौते भाई थे और उनके पिताजी भी फौज से रिटायर हैं।