उत्तराखंड | विधानसभा मौजूद थे सत्तापक्ष के सिर्फ 10 विधायक, विपक्ष ने उठाए सवाल

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) बुधवार को विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या खासी कम होने की वजह राज्य सरकार की फजीहत होते-होते बच गई। यह तब हुआ जब बुधवार को जब संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत सदन के पटल पर उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 (संशोधन) विधेयक-2019 पेश कर रहे थे। उन्होंने सदन में विधेयक रखा
 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) बुधवार को विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या खासी कम होने की वजह राज्य सरकार की फजीहत होते-होते बच गई। यह तब हुआ जब बुधवार को जब संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत सदन के पटल पर उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 (संशोधन) विधेयक-2019 पेश कर रहे थे।

उन्होंने सदन में विधेयक रखा तो विपक्ष ने उन्हें यह कहकर चुनौती दी कि सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या कम है। हालांकि अध्यक्ष पीठ से सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने विधेयक को स्थापित करने की अनुमति दे दी। लेकिन विपक्ष बार-बार सदस्यों की गिनती करने की मांग उठाता रहा।

सदन में भाजपा के 57 में से महज 10 विधायक ही मौजूद थे। स्पीकर की पीठ पर आसीन डिप्टी स्पीकर को मिलाकर ये संख्या 11 थी। जबकि विपक्ष में कांग्रेस के नौ विधायक उपस्थित थे। अध्यक्ष पीठ ने विधेयक के पक्ष में ‘हां’ की संख्या अधिक बताकर विधेयक को सदन पटल पर रखे जाने की जैसे ही अनुमति दी, कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने सवाल उठा दिया कि सदन में ‘नहीं’ कहने वाले सदस्यों की संख्या अधिक है। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि सत्ता पक्ष के विधायकों की संख्या अधिक है तो धामी ने सदस्यों की गिनती करने की मांग उठा दी। उनके पक्ष में विधायक करन माहरा भी खड़े हो गए।

संसदीय कार्यमंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सदन में विपक्ष के सिर्फ नौ विधायक उपस्थित हैं। कुछ देर चली बहस के बाद डिप्टी स्पीकर ने कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए विधेयक को सदन में स्थापित करने की अनुमति दे दी। मत विभाजन का सवाल खड़े होने की बात सदन के बाहर तक पहुंची तो भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान और राजेश शुक्ला आनन फानन में सदन में पहुंचे।

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