खुली पोल | समय पर नहीं मिला ईलाज, प्रसव पीड़िता की मौत

पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सरकार भले ही कितने दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। प एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुली है जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में जहां पर 25 साल की एक प्रसव पीड़िता रविवार को सात घंटे तक उपचार के लिए भटकने के बाद आखिरकार
 
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पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सरकार भले ही कितने दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। प

एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुली है जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में जहां पर  25 साल की एक प्रसव पीड़िता रविवार को सात घंटे तक उपचार के लिए भटकने के बाद आखिरकार दम तोड़ दिया।

जानकारी के अनुसार त्यूणी तहसील क्षेत्र के ग्राम डिरनाड़ निवासी अमिता (25) पत्नी करण सिंह को रविवार सुबह प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे नजदीकी अस्पताल राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय (एसएडी) भटाड़-कथियान ले गए, लेकिन अस्पताल में न तो डॉक्टर है, न फार्मेसिस्ट। ऐसे में परिजनों को उसे 108 एंबुलेंस से 40 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) त्यूणी ले जाना पड़ा। लगभग ढाई घंटे का सफर तय करने के बाद दोपहर 12 बजे के आसपास वे त्यूणी पहुंचे पर उसकी हालत बिगड़ने पर अस्पताल प्रशासन ने उसे विकासनगर हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया।

परिजनों ने 108 एंबुलेंस से ही उसे विकासनगर अस्पताल ले जाने की बात कही तो एंबुलेंस चालक ने तेल न होने का कारण गिनाते हुए जाने से इन्कार कर दिया। परिजन जैसे-तैसे निजि वाहन से महिला को विकासनगर के लिए रवाना हुए लेकिन रास्ते में बीच प्रसव पीड़िता की हालत बिगड़ गई और उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते महिला ने दम तोड़ने पर पुख्ता स्वास्थ्य़ सेवाओं का दावा करने वाले अधिकारियों का फिर वही रटा रटाया जवाब सामने आया। देहरादून के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल ने बताया कि यह गंभीर मामला है इसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि देखा जाएगा कि किन परिस्थितियों में गर्भवती महिला को रेफर किया गया। साथ ही भटाड़ में चिकित्सक व फार्मेसिस्ट में से किसी एक की तैनाती सुनिश्चित कराई जाएगी।