मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के प्रति किया जागरूक, कहा- बारिश के पानी का संरक्षण जरूरी

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए जल संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल की उपलब्धता चाहे वह झीलों में हो या प्राकृतिक जल स्रोतों में, इस दिशा में समेकित प्रयासों के आधार पर
 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में मीडिया से अनौपचारिक वार्ता करते हुए जल संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल की उपलब्धता चाहे वह झीलों में हो या प्राकृतिक जल स्रोतों में, इस दिशा में समेकित प्रयासों के आधार पर नियोजित ढंग से कार्य किया जा रहा है, उन्होंने वर्षा जल संग्रहण की दिशा में कार्य किये जाने की भी बात कही। इसे भी अभियान के रूप में संचालित किया जा रहा है।झीलों, प्राकृतिक जल स्रोतों व वर्षा जल संरक्षण की दिशा में प्रभावी कार्य योजना के साथ हम भविष्य के लिये जल की आवश्यकता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।

इससे हम सबको जल की उपलब्धता व सुरक्षा भी प्रदान करने में सफल हो सकेंगे।मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में 8-9 झीलों के संरक्षण का कार्य चल रहा है, जल संरक्षण सरकार की प्राथमिकता भी है। इस दिशा में समाज में जन जागरूकता के प्रयास के साथ ही आम आदमी का जागरूक होना भी जरूरी है ।नवनीकरण, जल संरक्षण  व जल संचय में स्थानीय लोगों की भागीदारी बड़ा बदलाव ला सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल की पर्याप्त उपलब्धता है, हमें जल संचय की आदत बनानी होगी, जितनी जरूरत है उतना ही जल का उपयोग करने से भी जल संचय के साथ ही जल की बरबादी को रोकने में हम सफल हो सकेंगे।पिथौरागढ़ महाविद्यालय में पुस्तकों की उपलब्धता एवं प्राध्यापकों की नियुक्ति आदि से सम्बन्धित मसलों को लेकर आन्दोलनरत छात्रों की मांगों के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिथौरागढ़ महाविद्यालय में 90 प्रतिशत फैकल्टी मौजूद हैं, जबकि महाविद्यालय के पुस्तकालय में 1.10 लाख पुस्तकें हैं।

उन्होंने कहा कि छात्रों की समस्याओं का समाधान किया जायेगा। यह भी जानकारी ली जायेगी कि छात्र किस प्रकार की पुस्तकें चाहते हैं, उन्होंने कहा कि बच्चों को माता-पिता कॉलेज में पढ़ने के लिय भेजते हैं। छात्रों को पढ़ाई के बजाय इस प्रकार का आन्दोलन नहीं करना चाहिए, हर समस्या का समाधान आन्दोलन नहीं बल्कि आपसी संवाद ही होता है।

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