उत्तराखंड | 5720.78 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश, पेट्रोल-डीजल पर कम नहीं होगा टैक्स

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती दरों पर सरकार ने साफ कर दिया कि इनके ऊपर राज्य टैक्स कम नहीं होगा। कोविड महामारी के कारण सरकार के राजस्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पेट्रोल व डीजल पर राज्य की ओर से लगाए गए टैक्स को कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। 
 

 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अनुपूरक बजट पेश किया। मुख्यमंत्री धामी ने कुल 5720.78 करोड़ का बजट पेश किया। बजट में कोविड से निपटने और स्वरोजगार योजनाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। नंदा गौरा योजना के लाभ से वंचित 33216 बालिकाओं को अब योजना का लाभ मिल सकेगा। 

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन पटल पर सात विधेयक रखे गए

  • आईएमएस यूनिसन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, डीआईटी विश्वविद्यालय संशोधन (विधेयक), उत्तराखंडल माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, उत्तराखंड पौधशाला (विनियमन) संशोधन विधेयक, उत्तराखंड नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्राविधान संशोधन विधेयक और उत्तराखंड विनियोग (2021-22 अनुपूरक) विधेयक को सदन पटल पर रखा गया। 

कम नहीं होगा टैक्स- पेट्रोल और डीजल की बढ़ती दरों पर सरकार ने साफ कर दिया कि इनके ऊपर राज्य टैक्स कम नहीं होगा। कोविड महामारी के कारण सरकार के राजस्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पेट्रोल व डीजल पर राज्य की ओर से लगाए गए टैक्स को कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। 

कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन के बढ़ती महंगाई के प्रश्न के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने सदन को अवगत कराया कि एलपीजी रसोई गैस पर टैक्स निर्धारित जीएसटी के दायरे में है। एलपीजी पर टैकस कम करना जीएसटी परिषद के अधीन आता है। वर्तमान में पेट्रोल पर राज्य टैक्स 25  प्रतिशत या 19 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 17.48 प्रतिशत या 10.41 रुपये प्रति लीटर लिया जा रहा है। पेट्राल व डीजल पर राज्य कर को कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। एलपीजी पर टैक्स दर को कम के लिए सरकार की ओर से वर्तमान में केंद्र सरकार कोई बात नहीं हुई है। बताया कि जीएसटी में एलपीजी पर 9 प्रतिशत  टैक्स लिया जाता है।

वहीं सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने कहा कि सरकार को अपनी आमदनी की चिंता है, लेकिन कोविड महामारी के कारण लोगों का रोजगार छीन गया है। ऊपर से महंगाई की मार से लोगों का जीना मुश्किल हो गया। इसके बाद भी सरकार को आम लोगों की चिंता नहीं है।