उत्तराखंड के UCC बिल में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर क्या हैं प्रावधान, समझिए

लिव-इन रिलेशनशिप को वैध तभी माना जाएगा, जब दोनों पार्टनर की इसमें सहमति हो। अगर धोखे, जबरदस्ती या डरा-धमकाकर किसी को साथ रखा जाता है तो उसे भी अवैध माना जाएगा। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान अगर बच्चा पैदा होता है तो उसे भी वैध माना जाएगा।
 
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देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद धामी सरकार ने एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने ढाई लाख से ज्यादा सुझाव मांगे और उस आधार पर यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया।

मंगलवार को उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए बिल पेश कर दिया है। इसे समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड 2024 बिल नाम दिया गया है।

समान नागरिक संहिता का बिल अगर विधानसभा में पास हो जाता है, तो इसे फिर राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल के दस्तखत होते ही ये कानून बन जाएगा। इसके साथ ही समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन जाएगा। कानून बनने के बाद ये सभी लोगों पर लागू हो जाएगा। हालांकि, इस कानून के प्रावधान अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों पर लागू नहीं होंगे।

अगर ये कानून बन जाता है तो इससे बहुविवाह पर भी रोक लग जाएगी। इतना ही नहीं, बिल में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी सख्त प्रावधान हैं। इसके तहत, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को भी अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

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लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या इसकी तैयारी करने वालों के लिए यूसीसी के बिल में नियम बनाए गए हैं। ये नियम सभी पर लागू होंगे, फिर चाहे वो उत्तराखंड का मूल निवासी हो या न हो। नियमों के मुताबिक, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को जिले के रजिस्ट्रार के सामने इसको डिक्लेयर करना होगा। इतना ही नहीं, अगर इस रिलेशनशिप को खत्म करना चाहते हैं तो उसकी जानकारी भी देनी होगी।

लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले को जिले के रजिस्ट्रार के पास जाकर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। ऐसी रिलेशनशिप में रहने वाले 21 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को रजिस्ट्रेशन के लिए माता-पिता की सहमति लेनी होगी। अगर कोई कपल बिना सूचित किए एक महीने से ज्यादा लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा होगा, तो उन्हें तीन महीने की जेल की सजा या 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

रजिस्ट्रेशन के लिए दी गई जानकारी को संबंधित पुलिस थाने के प्रभारी को भेजी जाएगी। थाना प्रभारी चेक करेंगे कि जानकारी सही है या नहीं। रजिस्ट्रेशन के दौरान अगर गलत जानकारी दी जाती है, तो दोषी पाए जाने पर तीन महीने की जेल या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

बिल के मुताबिक, ऐसी लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा या उसे वैध नहीं माना जाएगा, अगर दोनों के बीच पारिवारिक संबंध या खून का रिश्ता है। इनके अलावा, अगर दोनों में से कोई एक नाबालिग है तो उसे भी वैध नहीं माना जाएगा। अगर दोनों में से कोई एक पहले से शादीशुदा है और वो लिव-इन में किसी के साथ रह रहा है तो वो भी अवैध मानी जाएगी।

लिव-इन रिलेशनशिप को वैध तभी माना जाएगा, जब दोनों पार्टनर की इसमें सहमति हो। अगर धोखे, जबरदस्ती या डरा-धमकाकर किसी को साथ रखा जाता है तो उसे भी अवैध माना जाएगा। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान अगर बच्चा पैदा होता है तो उसे भी वैध माना जाएगा। इसके साथ ही अगर रिलेशनशिप टूटती है तो महिला अदालत जा सकती है और गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।

लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले दोनों पार्टनर में से कोई एक भी अगर इसे खत्म करना चाहता है, तो इसकी जानकारी भी देनी होगी। बिल के मुताबिक, दोनों पार्टनर या दोनों में से कोई एक लिव-इन रिलेशनशिप को खत्म करना चाहता है तो उन्हें इसकी डिक्लेरेशन देनी होगी। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों की उम्र 21 साल से कम है और वो इसे खत्म करना चाहते हैं तो रजिस्ट्रार इसकी जानकारी उनके माता-पिता या गार्जियन को देनी होगी।