77 साल बाद मकर संक्रांति पर बना दुर्लभ योग, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का विशेष महत्व होता है। आज, 15 जनवरी 2024 को देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाएगा।मकर संक्रांति की तिथि अर्धरात्रि 02:54 मिनट से लग चुकी है. जो आज पूरे दिन चलेगी।
उदयातिथि होने की वजह से मकर संक्रांति का पर्व आज15 जनवरी के दिन मनाया जा रहा है।15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति पर 77 सालों के बाद वरीयान योग और रवि योग का संयोग बन रहा है. इस दिन बुध और मंगल भी एक ही राशि धनु में विराजमान रहेंगे।
मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तराखंड में जहां उत्तरायणी त्योहार के रूप में मनाया जाता है तो वहीं उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, दक्षिण में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति का त्योहार धार्मिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक नजरिए से भी खास होता है. इस दिन सूर्य उत्तरायण दिशा में प्रवेश करते हैं. इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत संस्कार जैसे मांगलिक व शुभ कार्य पुनः शुरू हो जाते हैं.
मकर संक्रांति 2024 स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
धर्मगंथ्रों के अनुसार मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान आदि पुण्य काल में करने का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति पर स्नान-दान का महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि-
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
- अगर आप गंगा स्नान कर लें, तो आप भी बेहतर है। लेकिन किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें।
- स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, थोड़ा तिल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर अर्घ्य दें। इसके साथ ही भोग लगाएं।
- पूजा पाठ करने के बाद अपनी योग्यता के अनुसार दान करें।
- मकर संक्रांति के दिन मुहूर्त पर अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल, उड़द की दान, मुरमुरे के लड्डू आदि का दान करें। ऐसा करने से सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होंगे।
उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं में मकर संक्रांति पर 'घुघुतिया' के नाम एक त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार की अपनी अलग ही पहचान है। लोग मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर गुड़ के पानी से आटा बनाकर उसके घुघते बनाए जाते हैं। घुघुतिया के दूसरे दिन बच्चे काले कौआ, घुघुती माला खाले की आवाज लगाकर कौए को बुलाते हैं।