नवरात्रि | दूसरे दिन होती है मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा

ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या, तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया।  इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं।
 
नवरात्रि | दूसरे दिन होती है मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) आदि शक्ति मां दुर्गा का द्वितीय रूप है श्री बह्मचारिणी। मां दुर्गा अपने इस रूप में पूर्ण रूप से शांत हैं साथ ही निमग्न होकर तप में लीन हैं। कठोर तप के कारण मां के मुख पर तेज विराजमान है जो तीनों लोकों को प्रकाशमान कर रहा है।

ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या, तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया।  इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं।

माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। इस वरदान के फलस्वरूप ही देवी भगवान भोले नाथ की वामिनी अर्थात पत्नी बनी। ब्रह्मचारिणी देवी की कथा का सार ये है कि जीवन के कठिन से कठिन समय में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।