नवरात्रि | मां कालरात्रि की उपासना से मिलती है भय से मुक्ति
मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है अर्थात जिनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं । नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं
Apr 13, 2016, 06:45 IST
कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो।
बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग है। दुर्गा का कालरात्रि रूप भले ही भयंकर हो लेकिन मां सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इसीलिए मां शुभंकरी भी कहलाईं। अर्थात इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की आवश्यकता नहीं। मां के दर्शन मात्र से ही भक्त पुण्य का भागी बनता है।
मां की उपासना से तमाम असुरी शक्तियां भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।