IAS अफसर के ड्रेस कोड पर क्यों भड़के हाईकोर्ट के जज ? यहां जानिए पूरा मामला
पटना (उत्तराखंड पोस्ट) सोशल मीडिया पर शनिवार से पटना हाईकोर्ट का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस पीबी बजंथरी बिहार बोर्ड के अध्यक्ष और शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव IAS अधिकारी आनंद किशोर को कोर्ट में प्रॉपर ड्रेस कोड में नहीं होने की वजह से फटकार लगाते हुए नजर आ रहे हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट (जिनको कोर्ट ऑफ जस्टिस कहा जाता है) में उपस्थित रहने के दौरान एक सिविल सेवक का ड्रेस कोड क्या होना चाहिए?
2017 में समाचार एजेंसी डेक्केन क्रोनिकल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा कोई लिखित नियम नहीं है लेकिन किसी भी औपचारिक अवसर पर, जब आप किसी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या हाईकोर्ट/सुप्रीम कोर्ट के सदस्य से मिलते हैं, तो यह उम्मीद की जाती है कि आप टाई के साथ सूट या जोधपुरी बंद गला कोट पहनेंगे।
वहीं फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में उड़ीसा हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल ने सरकारी अधिकारियों को कोर्ट में अपीयर होने के दौरान फॉर्मल ड्रेस कोड पहनने को कहा था। अधिकारियों के मुताबिक एडवोकेट जनरल ने सरकार के सभी विभागों के प्रमुखों को ये निर्देश जारी किए थे।
क्या कहती है सिविल सेवकों की आचरण नियमावली?
अखिल भारतीय सेवाएं (आचरण) नियम, 1968 (THE ALL INDIA SERVICES (CONDUCT) RULES, 1968) नियमावली में कहीं भी सिविल सेवकों के ड्रेस कोड का जिक्र नहीं है। इस नियमावली के नियम संख्या 3(1) में कहा गया है कि अखिल भारतीय सेवाओं का प्रत्येक सदस्य हर समय सत्यनिष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पण बनाए रखेगा और ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जो कि एक सदस्य के लिए अशोभनीय हो लेकिन देश के सिविल सेवकों के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में ट्रेनिंग के दौरान उनको दी गई बुक में ड्रेस कोड का उल्लेख है। इसमें सिविल सेवकों को क्या पहनना चाहिए इसके बारे में जानकारी दी गई है।
इस संबंध में समाचार एजेंसी आउटलुक की एक खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने राजस्थान सरकार के शहरी विकास और आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनजीत सिंह को इसके लिए फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे चेलमेश्वर और संजय किशन कौल की बेंच ने इस संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा, चाहे नियम हों या नहीं हों, नौकरशाहों से हमेशा अदालतों में पेश होने के दौरान शांत और सभ्य पोशाक पहनने की उम्मीद की जाती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस संबंध में कोई प्रशासनिक निर्देश है या नहीं। कोर्ट में प्रेजेंट रहने के दौरान सिविल सेवकों को एक निश्चित स्तर की शालीनता बनाए रखनी चाहिए।
इस मामले में इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार के सीनियर अधिकारियों को फटकार चुका है। 2017 में बिहार के तत्कालीन मुख्य सचिव रहे अंजनी कुमार सिंह को अदालत ने इस मामले में अदालत से बाहर जाने को कहा था।
जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने उनको अदालती कार्रवाई के दौरान डेकोरम मेंटेन नहीं करने के कारण उनको दूसरे दिन फिर से फॉर्मल कपड़े पहन कर आने का निर्देश दिया था। इस दौरान अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या वह अपने सीएम के पास भी ऐसे जाएंगे ? अगर नहीं तो फिर वह देश की सर्वोच्च अदालत में ऐसा कैसे कर सकते हैं।
Article Courtesy- abplive.com (Original Article Link- Click Here )