देश के इन 10 राज्यों में ब्लैक फंगस का कहर, इन लोगों को खतरा ज्यादा
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) भारत में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर रोज लाखों नए केस सामने आ रहे और हजारों लोगों की मौत हो रही है।
कोरोना के कहर के बीच देश में एक ओर चिंता की खबर मिली है। देश के 10 राज्यों में कोविड-19 से उत्पन्न ‘म्यूकोरमाइसिस’ यानी ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता दिख रहा है। इस बीमारी में रोगियों की आंखों की रोशनी जाने और जबड़े व नाक की हड्डी गलने का खतरा रहता है। ये इतनी गंभीर बीमारी है कि इसमें मरीज को सीधे आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, यूपी, बिहार और हरियाणा में भी ब्लैक फंगस के मरीज सामने आ चुके हैं। कोरोना मरीजों में पहले अगर किसी तरह की कोई गंभीर बीमारी है तो उनमें ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है।
कोरोना के उपचार में स्टेरॉयड का उपयोग इस बात को ध्यान में रखकर किया जाता है कि कई कोरोनोवायरस के मरीजों को डायबिटीज होता है। जिस किसी भी मरीज को डायबिटीज की शिकायत होती है उनमें ब्लैक फंगस की समस्या ज्यादा देखी गई है।
क्या बला है म्यूकोरमाइसिस?
इसे ज़ायगोमायकोसिस के नाम से भी जाना जाता है। सीडीसी यानि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन के मुताबिक, ये एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक फंगल इन्फेक्शन है जो म्यूकोरमाइसेट्स नाम के फफूंद यानि मोल्ड या फंगस के समूह की वजह से होता है। ये फंगस वातावरण में प्राकृतिक तौर पर पाया जाता है। ये इंसानों पर तब ही हमला करता है जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ती है। हवा में मौजूद ये फंगल स्पोर्स यानि फफूंद बीजाणु सांस के जरिए हमारे फेफड़ों और साइनस में पहुंच कर उन पर असर डालते हैं। ये फंगस शरीर में लगे घाव या किसी खुली चोट के ज़रिये भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
कौन आ सकता है चपेट में?
सर गंगाराम अस्पताल के ईएनटी (नाक, कान, गला) विभाग के अध्यक्ष डॉ. अजय स्वरूप के मुताबिक कोविड -19 के मरीज जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, उन्हें ब्लैक फंगल म्यूकोरमाइकोसिन बीमारी से ज्यादा खतरा होता है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए दी जाने वाली स्टेरॉयड और कई मामलों में कोविड-19 के मरीजों को डायबिटीज सहित दूसरी बीमारियों का होना, ब्लैक फंगस के मामलों के दोबारा बढ़ने की एक वजह हो सकता है।