जलियांवाला बाग की 100वीं बरसी: ब्रिटिश हाई कमिश्नर बोले- इस नरसंहार के लिए हम शर्मिंदा हैं

अमृतसर (उत्तराखंड पोस्ट) पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग हत्याकांड की आज 100वीं बरसी है। इसी दिन साल 1919 में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश भारतीय बलों ने निहत्थे, बेगुनाह सैकड़ों भारतीयों को गोलियों से भून दिया था। इसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड
 

अमृतसर (उत्तराखंड पोस्ट) पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग हत्याकांड की आज 100वीं बरसी है। इसी दिन साल 1919 में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश भारतीय बलों ने निहत्थे, बेगुनाह सैकड़ों भारतीयों को गोलियों से भून दिया था। इसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल पूरे होने पर भारत में ब्रिटेन के हाई कमिश्नर सर डोमेनिक एस्क्विथ ने जलियांवाला बाग मेमोरियल जाकर इस नरसंहार में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान ब्रिटिश हाई कमिश्नर ने मेमोरियल के विजिटर्स बुक में अहम मैसेज भी लिखा।

ब्रिटेन के हाई कमिश्नर सर डोमेनिक एस्क्विथ ने विजिटर्स बुक में लिखा, ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड की आज 100वीं बरसी है। ये ब्रिटिश-भारत के इतिहास में सबसे शर्मनाक घटना थी, जो भी हुआ, हम उसके लिए शर्मिंदा हैं. मुझे खुशी है कि यूके और भारत 21वीं सदी में सहयोगात्मक प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध हैं।

आपको बता दें कि देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। वह साल 1919 का 13 अप्रैल का दिन था, जब जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज हुक्मरान ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं।

पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के नजदीक जलियांवाला बाग नाम के इस बगीचे में अंग्रेजों की गोलीबारी से घबराई सैकड़ों औरतें और आदमी अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में कूद गए थे। बाग से बाहर जाने का रास्ता एक ही था और संकरा था। ऐसे में न जाने कितने लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आ गए थे।

हमारा Youtube  चैनल Subscribe करें http://www.youtube.com/c/UttarakhandPost 

हमें ट्विटर पर फॉलो करेंhttps://twitter.com/uttarakhandpost

हमारा फेसबुक पेज लाइक करें – https://www.facebook.com/Uttrakhandpost/