ब्लैक फंगस के बढ़ रहे है मामले, क्या है लक्षण, कैसे बचें, किन्हें है खतरा ? सारे सवालों के जवाब यहां

भारत में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर रोज लाखों नए केस सामने आ रहे और हजारों लोगों की मौत हो रही है। कोरोना के कहर के बीच देश में कोविड-19 से उत्पन्न ‘म्यूकोरमाइसिस’ यानी ब्‍लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा है।
 

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) भारत में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर रोज लाखों नए केस सामने आ रहे और हजारों लोगों की मौत हो रही है। कोरोना के कहर के बीच देश में कोविड-19 से उत्पन्न ‘म्यूकोरमाइसिस’ यानी ब्‍लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा है।

इस बीमारी में रोगियों की आंखों की रोशनी जाने और जबड़े व नाक की हड्डी गलने का खतरा रहता है। ये इतनी गंभीर बीमारी है कि इसमें मरीज को सीधे आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। अब ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इससे बचने की सलाह दी है, जो कि मुख्य तौर पर महाराष्ट्र में कई मरीजों में देखे गए हैं। हर्षवर्धन ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में बताया कि जागरूकता और शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इसके खतरे से बचा जा सकता है।

क्या है ब्लैक फंगस -

म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है। कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है।

किन लोगों को UW खतरा-

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ता है। अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी, लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना, किसी अन्य बीमारी का होना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है।

क्या हैं लक्षण-

इसमें मुख्य रूप से कई तरह के लक्षण देखे जाते हैं जैसे - आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस में तकलीफ, उल्टी में खून या मानसिक स्थिति में बदलाव। इसलिए इन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।

कैसे बनाता है शिकार-

विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है। ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है। स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है।

कैसे बचें-

ब्लैक फंगस से बचने के लिए धूल वाली जगहों पर मास्क पहनकर रहें। मिट्टी, काई या खाद जैसी चीजों के नजदीक जाते वक्त जूते, ग्लव्स, फुल स्लीव्स शर्ट और ट्राउजर पहनें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है।

इन बातों का रखें ख्याल-

हाइपरग्लीसीमिया (ब्लड शुगर) को कंट्रोल रखें, कोविड-19 से रिकवरी के बाद भी ब्लड ग्लूकोज का लेवल मॉनिटर करते रहें, स्टेरॉयड का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर्स की सलाह पर ही करें, ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान ह्यूमिडिटीफायर के लिए साफ पानी का ही इस्तेमाल करें, एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करें।

क्या न करें-

ब्लैक फंगस से बचने के लिए इसके लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें। बंद नाक वाले सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसाइटिस समझने की भूल न करें। खासतौर से कोविड-19 और इम्यूनोसप्रेशन के मामले में ऐसी गलती न करें।