साथियों को बचाने के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की डूबने से जान गयी, 6 दिन बाद मिला शव

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में तैनात भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की झील में डूबने से मौत हो गई। वे रविवार (8 सितंबर) को यहां की लेक कीवु में कयाकिंग करने गए थे। संयुक्त राष्ट्र मिशन की ओर से बताया गया
 

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में तैनात भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी की झील में डूबने से मौत हो गई। वे रविवार (8 सितंबर) को यहां की लेक कीवु में कयाकिंग करने गए थे। संयुक्त राष्ट्र मिशन की ओर से बताया गया है कि उनका सहयोगी डूब रहा था और उसे बचाने में गौरव की जान चली गई। बता दें, उनका शव 6 दिन बाद मिला था।

आपको बता दें, लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी 8 सितंबर को गोमा के पास चेगेरा द्वीप के पास कीवु लेक में कयाकिंग करने गए थे। कुछ देर बाद साथ गए सभी लोग वापस अपने कैंप लौट आए, लेकिन गौरव सोलंकी वापस नहीं आए। लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी का शव कीवु झील के अंदर मिला, जो चेगेरा द्वीप से करीब एक किलोमीटर अंदर था। आपको बता दें, कॉंगो में रवांडा के साथ लगती सीमा पर एक झील है जिसका नाम है ‘कीवू’ है जो विश्व की 10 सबसे गहरी झीलों में से एक है।

बताया गया कि कीवू झील में कुछ अफसर कयाकिंग कर रहे थे। क्याक दो थी और दोनों पर दो-दो अफसर थे कि अचानक एक क्याक पानी में पलट गई जिससे उस पर सवार दोनों अफसर डूबने लगे। इन्हें डूबता देख गौरव सोलंकी ने बचाने के लिए झील में छलांग लगा दी। लेफ़्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी ने दोनों अफसरों को बचा लिया लेकिन परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था कि वह खुद को नहीं बचा सके और पानी में डूब गए। बताया जा रहा है कि अपने दोनों साथियों को बचाने के दौरान वह थकान के कारण खुद पर नियंत्रण नहीं रख सके और गहरे गौरव सोलंकी के पीछे उसकी पत्नी और एक जवान बेटा है जो उसके गृह नगर दिल्ली में रहते हैं।

बता दें कि साल 2000 में सोलंकी ने एनडीए ज्वाइन किया। इसके बाद 2002 में वो स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन के रूप में पासआउट हुए। 2003 में वो 6 जाट रेजिमेंट से जुड़े और 2004/5 में घातक प्लाटून में शामिल हुए। इसके बाद मणिपुर 2006 में काउंटर इंसर्जेंसी ऑप्स में कंपनी कमांडर बने। इसके बाद 2007 में वो स्पेशल फोर्सेज में शामिल हुए. इसके अलावा 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज में चयनित हुए और 2007 से 2010 तक जम्मू-कश्मीर में इनका संचालन किया।

इसके बाद 2010-12 में इंडियन मिलिट्री अकेडमी में पोस्टिंग पाई। अगस्त 2014 में उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया. 2014 में उन्हें 12 पैरा स्पेशल फोर्सेज में शामिल किया गया। इसके बाद उन्होंने 2015 में DSSC एग्जाम पास किया। 2017 में उन्होंने DSSC परीक्षा पास किया और बुकर सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें CONGO, MONUSCO के लिए मिल ऑब्जर्वर के रूप में चुना गया और अगस्त 2017 में संयुक्त राष्ट्र मिशन के लिए रवाना हुए।

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