शादी के लिए 18 नहीं, अब 21 की उम्र जरूरी... लड़कियों के लिए राज्य में बदला नियम

अब शादी तभी वैध मानी जाएगी, जब लड़का और लड़की दोनों की उम्र 21 साल या उससे ज्यादा होगी। अगर दोनों में से किसी एक की उम्र भी 21 साल से कम होगी तो इसे बाल विवाह माना जाएगा और ऐसा करना अपराध होगा।
 
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शिमला (उत्तराखंड पोस्ट) अब 21 साल की उम्र से पहले लड़की की शादी करना या करवाना अपराध होगा। जी हां, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर दिया है।

इसका बिल विधानसभा में पास हो गया है और अब इसे राज्यपाल के पास भेजा गया है। अगर राज्यपाल से इसे मंजूरी मिलती है तो फिर यहां लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल हो जाएगी।

इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहां लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को बढ़ाया गया है। अब हिमाचल में शादी तभी वैध मानी जाएगी, जब लड़का और लड़की की उम्र 21 साल या उससे ज्यादा होगी।

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बालिग होने की उम्र भी बढ़ीः देश में बाल विवाह के खिलाफ 2006 से कानून है, इसके तहत, बालिग उसे माना जाता था जिसकी उम्र 18 साल या उससे ज्यादा हो लेकिन हिमाचल में अगर ये कानून बना तो फिर 21 साल की उम्र करने पर ही उसे बालिग समझा जाएगा, चाहे वो लड़का हो या लड़की।

सभी पर होगा लागूः राज्यपाल की मंजूरी मिलती है तो ये राज्य के सभी मूल निवासियों पर लागू होगा, फिर चाहे वो किसी भी धर्म का ही क्यों न हो। इतना ही नहीं, अगर किसी समाज में कम उम्र में शादी की कोई प्रथा चली आ रही होगी, तो उस पर भी ये कानून लागू होगा। कुल मिलाकर, जो भी व्यक्ति हिमाचल प्रदेश का मूल निवासी होगा, वो इस कानून के दायरे में आएगा।

माना जाएगा बाल विवाहः अब तक शादी की कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल थी। मगर अब दोनों के लिए 21 साल होगी. यानी, अगर 21 साल से कम उम्र की किसी लड़की की शादी होती है तो उसे बाल विवाह माना जाएगा। अगर लड़का और लड़की, दोनों की उम्र 21 साल से कम है तो वो भी बाल विवाह ही होगा।

शून्य घोषित करवाने की उम्र भी बढ़ीः अगर बाल विवाह होता था तो ऐसी शादी की शून्य घोषित करवाने की अर्जी दो साल के भीतर ही दाखिल की जा सकती थी। प्रस्तावित बिल में इस दो साल की अवधि को बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया है। यानी, अगर किसी लड़की या लड़के की शादी 21 साल से पहले हो जाती है तो वो बालिग होने के पांच साल के भीतर अपनी शादी को शून्य घोषित करवाने की अर्जी दायर कर सकता है।

अब शादी तभी वैध मानी जाएगी, जब लड़का और लड़की दोनों की उम्र 21 साल या उससे ज्यादा होगी। अगर दोनों में से किसी एक की उम्र भी 21 साल से कम होगी तो इसे बाल विवाह माना जाएगा और ऐसा करना अपराध होगा।

 ये सभी लोगों पर लागू होगा, फिर चाहे वो किसी भी जाति या धर्म का ही क्यों न हो। अब तक ये होता था कि अलग-अलग धर्मों और कुछ आदिवासी समुदायों में शादी की कानूनी उम्र अलग होती थी। मसलन, मुस्लिमों में लड़की की शादी की कोई कानूनी उम्र नहीं है। मुस्लिम कानून के मुताबिक अगर लड़की प्यूबर्टी में पहुंच गई है तो उसकी शादी की जा सकती थी, ऐसे मामलों में बाल विवाह कानून लागू नहीं होता था लेकिन अब मुस्लिम लड़के और लड़कियों की शादी को भी तभी वैध माना जाएगा, जब उम्र 21 साल से ज्यादा होगी।

इतना ही नहीं, अब तक ये था कि अगर किसी का बाल विवाह होता है तो बालिग होने पर उस शादी को शून्य घोषित करवाने के लिए दो साल के भीतर अर्जी दाखिल करनी होती थी। मगर अब बालिग होने के पांच साल तक अर्जी दी जा सकती है।

बाल विवाह हुआ तो सजा क्या?

बाल विवाह को अपराध बनाने वाले कानून में आखिरी बार 2006 में संशोधन किया गया था। इसके तहत ही शादी की कानूनी उम्र लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल तय है। ये कानून देशभर में लागू है। इस कानून को फिर से संशोधन करने की तैयारी चल रही है, जिसमें शादी के लिए लड़कियों की उम्र को 21 साल किया जा सकता है।