अब कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए ये तरीका अपनाएंगी कंपनियां !

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) ज्यादातर कंपनियां उनके परफॉर्मेंस के आधार पर सैलरी बढ़ाने का फैसला करती हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भविष्य में कंपनियां अप्रेजल के दौरान यह भी देखेंगी कि एंप्लॉयी ने कौन सी नई स्किल्स सीखी हैं। एनबीटी की खबर के अनुसार पिछले महीने जब एऑन इंडिया कंसल्टिंग ने 2017-18 के लिए सैलरी
 

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) ज्यादातर कंपनियां उनके परफॉर्मेंस के आधार पर सैलरी बढ़ाने का फैसला करती हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भविष्य में कंपनियां अप्रेजल के दौरान यह भी देखेंगी कि एंप्लॉयी ने कौन सी नई स्किल्स सीखी हैं।

एनबीटी की खबर के अनुसार पिछले महीने जब एऑन इंडिया कंसल्टिंग ने 2017-18 के लिए सैलरी में बढ़ोतरी को लेकर अपना सर्वे पेश किया था तो उसने इस साल के लिए औसत वेतन वृद्धि 9.4% रहने का अनुमान लगाया था। यह पिछले साल के बराबर है। 2014 से 2018 तक एवरिज सैलरी इन्क्रिमेंट 10.4% से घटकर 9.4% पर आ गया है। इस दौरान इन्क्रिमेंट के लिए एंप्लॉयीज के परफॉर्मेंस पर फोकस किया गया।

हाई परफॉर्मेंस मैट्रिक्स में नई स्किल के जुड़ने से टॉप परफॉर्मेंस की परिभाषा भी बदलेगी। सर्वे के मुताबिक, नई परिभाषा के बाद टॉप परफॉर्मर्स की सैलरी में औसतन 15.4% की बढ़ोतरी होगी, जो औसत प्रदर्शन करनेवालों से 1.9 गुना अधिक होगी।

एऑन इंडिया कंसल्टिंग के पार्टनर आनंदोरूप घोष ने कहा, ‘एवरिज सैलरी इन्क्रिमेंट का अब कोई मतलब नहीं है। आप देखेंगे कि टॉप परफॉर्मर्स और क्रिटिकल स्किल्स वाले एंप्लॉयीज की सैलरी में कंपनियां अधिक बढ़ोतरी करेंगी।’ घोष ने बताया कि डिजिटल स्किल को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और यह एंप्लॉयीज की सैलरी बढ़ोतरी में बड़ा रोल अदा करेगी। लीडरशिप सेंटर के फाउंडर के रामकुमार ने बताया कि जो कंपनियां पहले से ही मच्योर हैं, वे पिछले 5-7 साल में एंप्लॉयीज को 8 से 8.5% का इन्क्रिमेंट दे रही हैं, उन पर किसी का दबाव नहीं है। वहीं, ऐसी कंपनियां जिन्होंने ब्रैंड डिवेलप नहीं किया है, उन पर एंप्लॉयीज को हाई इन्क्रिमेंट देने का दबाव है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक वह जमाना गया, जब ज्यादातर एंप्लॉयीज की सैलरी 14-15% बढ़ती थी। 10 साल हाई परफॉर्मेंस वाली रेटिंग किसी कंपनी में करीब 20 पर्सेंट एंप्लॉयीज को मिलती थी, जो अब घटकर सिर्फ 7.5% रह गई है। घोष ने बताया कि 2007 से 2011 के बीच कंपनियों ने एंप्लॉयीज की सैलरी में हाई डबल डिजिट में बढ़ोतरी की थी। इस दौरान सिर्फ 2009 में सैलरी हाइक सिंगल डिजिट में रही थी। 2012 से 2016 के बीच सैलरी में लो डबल डिजिट ग्रोथ हुई। घोष का कहना है कि अगले पांच साल में सिंगल डिजिट में सैलरी हाइक हो सकती है। (उत्तराखंड पोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैंआप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)